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प्रथम अंक
 


(चर का प्रवेश)

'युवराज की जय हो!'

पर्ण॰--क्या समाचार है?

चर--अब की बार पुष्यमित्रों का अंतिम प्रयत्न है। वे अपनी समस्त शक्ति संकलित करके बढ़ रहे है! नासीर-सेना के नायक ने सहायता मांगी है। दशपुर से भी दूत आया है।

स्कंद०--अच्छा, जाओ, उसे भेज दो।

(चर जाता है, दशपुर के दूत का प्रवेश)

'युवराज भट्टारक की जय हो!'

स्कंद॰--मालवपति सकुशल है?

दूत--कुशल आपके हाथ है। महाराज विश्ववर्मा का शरीरांत हो गया है! नवीन नरेश महाराज बंधुवर्मा ने साभिवादन श्रीचरणो में संदेश भेजा है।

स्कंद०--खेद! ऐसे समय से, जब कि हम लोगो को मालवपति से सहायता की आशा थी, वह स्वयं कौटुम्बिक आपत्तियो में फँस गये है!

दूत--इतना ही नहीं, शक-राष्ट्रमंडल चंचल हो रहा है, नवागत म्लेच्छवाहिनी से सौराष्ट्र भी पदाक्रांत हो चुका है, इसी कारण पश्चिमी मालव भी अब सुरक्षित न रहा।

(स्कंदगुप्त पूर्णदत्त की ओर देखते है)

पर्ण॰--वलभी का क्या समाचार है?

दूत--वलभी का पतन अभी रुका है। किन्तु बर्बर हूणों से उसका बचना कठिन है। मालव की रक्षा के लिये महाराज बन्धु-

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