पृष्ठ:स्कंदगुप्त.pdf/१०३

यह पृष्ठ प्रमाणित है।
स्कंदगुप्त
 


और चरणाद्रि तथा गोपाद्रि के दुर्गपतियों को जो धन विद्रोह करने के लिये परिषद् की आज्ञा से भेजा गया था, उसका क्या फल हुआ? अन्तर्वेद के विषयपति की कुटिल दृष्टि ने उस रहस्य का उद्घाटन करके वह धन भी आत्मसात् कर लिया और सहायता के बदले हमलोग अवंचित हुए, जिससे हूणों को सिन्धु का भी तट छोड़ देना पड़ा।

भटार्क-- ओह! शर्वनाग ने बड़ी सावधानी से काम लिया। आचार्य्य प्रपंचबुद्धि का निधन होने से यह सब दुर्घटना हुई है। दूत! हूणराज से कहना कि पुरगुप्त के सम्राट बनाने में तुम्हें अवश्य सहायता करनी पड़ेगी।

चर-- परन्तु उन्हें विश्वास कैसे हो?

भटार्क-- मैं प्रमाणपत्र दूँगा। हूणों को एक बार ही भारतीय सीमा से दूर करने के लिये स्कंदगुप्त ने समस्त सामन्तों को आमन्त्रण दिया है। मगध की रक्षक सेना भी उसमें सम्मिलित होगी, और मैं ही उसका परिचालन करूँगा। वहीं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिलेगी। और यह लो प्रमाणपत्र। (पत्र देता है)

पुरगुप्त-- ठहरो।

अनंत॰-- चुप रहो!

दूत तो यह उपहार भी सम्राज्ञी के लिये प्रस्तुत है।

(रत्नों से भरी हुई मंजूषा देता है)

भटार्क-- और उत्तरापथ के समस्त धर्मसंघों के लिये क्या किया है?

दूत-- आर्य्य महाश्रमण के पास मैं हो आया हूँ। समस्त

९८