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नई वस्तु न थी। गाड़ियाँ और दूसरे वाहन इस तंग दर्रे को पार नहीं कर सकते थे। इसलिए महमूद ने ऊँट, खच्चर और घोड़ों ही से काम लिया था। उसने निर्विघ्न इस दर्रे को पार कर लिया। यहां से दर्रे के आसपास के खूखार कबाइली पठानों के दल-बादल सुलतान की सेना में मिलते गए। जैसे नदी में बहाव आता है, उसी भाँति अमीर का कटक दिन-दिन वृद्धि पाता हुआ अटक के कूल पर आ टिका।