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अलभ्य ग्रन्थ-सागर को एकत्र करने में उसने पानी की तरह रुपया खर्च किया था। गज़नी और देहातों में उसने राज्य भर में बच्चों की शिक्षा की उत्तम व्यवस्था की थी। उसने मुक्त हाथों से लाखों रुपया इस कार्य में व्यय किया था। यद्यपि वह स्वभाव से कंजूस और धनलोलुप था, पर विद्यालय में वह दिल खोलकर खर्च करता था। कविता सुनने का वह अत्यन्त शौकीन था। फिरदौसी के पूर्ववर्ती कवि अन्सारी तथा ईरानी कवि दाकिनी को उसने शाहनामा लिखने की आज्ञा दी थी जिसे फिरदौसी ने पूरा किया था। इन्ही दिनों जब इंग्लैण्ड का प्रसिद्ध राजा कन्युट दी ग्रेट मैनचेस्टर के प्राचीन गिरजे के जीर्णोद्धार में सोना-चाँदी और रत्न-जवाहर बिखेर रहा था, यह प्रतापी सुलतान एक बार फिर भारत पर आक्रमण करके महामहिम प्रभु सोमनाथ महालय को भूमिसात् करने को कटिबद्ध हो रहा था।