अघोर सम्पदा उस दुर्गम जनवर्जित अघोर क्षेत्र में ऐसा अद्भुत-अकल्पित आतिथ्य पाने की अमीर ने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी। उस निर्जन गुफा में राज-दुर्लभ सुख-साधन और गरमागरम राजभोग देखकर तथा उस विचित्र माया-पुरुष पिशाच-राज का समझ में न आने वाला व्यक्तित्व देखकर, दोनों असाधारण अतिथि घपले में पड़ गए। भोजन-विश्राम से निवृत्त हो उन्होंने गुफा में एकत्रित बहुमूल्य वस्तुओं को देखा जो अरक्षित रखी थीं। अमीर ने कहा, “यह तो बड़ी अद्भुत बात है हज़रत! न यहाँ आदमी है न आदमज़ाद, फिर ऐसा लज़ीज़ खाना गरमागरम और यह माल-ताल, जिसकी हिफाजत करने वाला भी यहाँ कोई नहीं है। क्या यह सचमुच कोई जिन है या कोई बला?" "लेकिन वह है कहाँ? गुफा तो भीतर और ज्यादा बड़ी नहीं दीख पड़ती, फिर वह भीतर जाकर कहाँ गायब हो जाता है ?" “यही तो बात है हज़रत! अब भी आप कह सकते हैं कि यह सब करामात नहीं है ?" “मैं बिना देखे-सुने क्या कह सकता हूँ! वह अगर जिन है तो अकेला नहीं होगा।" "क्या आपने पट्टन में नहीं सुना था कि एक करोड़ जिन्नात उसकी खिदमत करते हैं। सो रंग-ढंग तो कुछ ऐसे ही नज़र आते हैं।" "लेकिन आप तो कहते हैं कि छोटे गुसाईं ने आपको यहाँ आने को कहलाया था, आने से फायदा होगा, यह भी कहा था।" “सो क्या फायदा होता है, यही देखना है। अब तो दिन छिप रहा है, वापस तो जा हम ही नहीं सकते हैं।" “वापस जाने की बात तो बाद में है; अभी तो उसने कहा है कि वह बात करेगा, अब यह देखना है कि वह क्या बात करता है।" अमीर और उसका साथी गुफा से बाहर चले आए। बाहर आकर देखा, सामने एक शिला-खण्ड पर वह दैत्याकार पिशाचराज समाधिस्थ बैठा है। उसके नेत्र बन्द हैं और शरीर निश्चल है। अमीर लपककर उसके निकट आने लगा। पर दूसरे आदमी ने उसे रोक कर कहा, “नहीं, नहीं, वहाँ जाना ठीक नहीं, वह ध्यान-मुद्रा में है, ऐसी हालत में उसे छेड़ना नहीं चाहिए। फिर उसने जिस तरीके पर हमारी तवाज़ा की है, उससे उसे नाराज़ करना तो किसी भी हालत में ठीक नहीं है।" कुछ देर दोनों एकटक उस समाधिस्थ पिशाच को देखते रहे। धीरे-धीरे सूर्य अस्त हो गया। चारों दिशाएँ अँधकार से भर गईं। परन्तु वह पिशाच वहीं उसी प्रकार निश्चल बैठा रहा। कुछ देर में दोनों व्यक्ति उठकर गुफा में गए तो यह देखकर उनके आश्चर्य का पारावार न रहा कि गुफा में स्वर्ण-दीप जल रहे हैं और जलते हुए सुगन्धित तेल की महक से सारी गुफा सुरभित है। साथ ही उत्कृष्ट गरमागरम ताज़ा भोजन का थाल भरा रखा है,
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