यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मिलेगा बासठ ही का। एक का सिर फोकट में काटना पड़ेगा।" इसके बाद उसने अपने सहायकों की मदद से दो-दो के हाथ रस्सियों से पीठ पर बाँधने प्रारम्भ किए। सबको बाँध चुकने पर जब वह इन तीनों के निकट आया तो, पूनमचन्द ने चुपचाप अपनी हीरे की अंगूठी उसके हाथ में थमाकर कहा, “दोस्त, हम तीनों को एक ही साथ बाँधना।" जल्लाद ने खुशी से मंजूर किया। वे तीनों एक साथ बाँध दिए गए। अब कैदियों का यह जलूस पंक्तिबद्ध वध-स्थल की ओर चला।