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शोभना की सवारी के पीछे हाथियों पर खज़ाना था। और उसके पीछे अमीर अपने बलूची सवारों से घिरा ऊँचे काले घोड़े पर सवार चल रहा था। सबसे पीछे रसद, डेरे तम्बू, राशन और बावर्ची, तोशाखाना, साईस आदि थे। अमीर का यह लश्कर मीलों लम्बा था। और राह में जो खेत-गाँव-बस्ती आती थीं, सब उजड़ जाती थीं। गाँव के निवासी गाँव छोड़-छोड़ कर भाग जाते थे। बहुधा बर्बर सैनिक अकारण ही जिसे भी पाते मार डालते, लूट लेते, आग लगा देते। कहीं किसी की कोई सुनवाई नहीं थी।