"नहीं जनाब।" "तो मित्र, अमीर का हुक्म बजा जाओ। अभी यहाँ मेरी चौकी है। यहाँ आने की वह आदमी हिम्मत करे जिसे इस तलवार की वह आन न हो।" फतह मुहम्मद ने एक बार दामोदर को सिर झुकाकर प्रणाम किया और चुपचाप पीछे लौट चला।