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"तो जिसकी यह तलवार है, उसके पास जाकर कहो, कि जिसके पास यह तलवार है, उसके साथ तुम्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए। फिर यदि वह तुम्हें यहाँ भेजे तो कल इसी समय यहीं भेट होगी और बात फिर।" यह कहकर दामो महता खिसक कर तेज़ी से निकट की एक अंधेरी गली में घुस गए। युवक सकते की हालत में रह गया। आनन्द ने कहा, “क्या तुम जानते हो, यह किसकी तलवार है?" “तुम जानते हो?" “नहीं।" “मैं भी नहीं जानता।” युवक के चेहरे पर गहरी घबराहट के चिह्न थे। संयत होकर उसने कहा, “कल मुझे आना होगा दोस्त।" "इस तलवार को देखने?" "बेशक! “इसी समय?" "इसी समय।" "तो तब तक के लिए विदा।" युवक ने आनन्द से हाथ मिलाया। और उसी भाँति रेंग कर पेट के बल पानी में पैठ गया। आनन्द ने मन्द स्वर से कहा, “मेरे दम्म मत भूलना।" युवक ने कहा, “अच्छा।' "