"तो साहब, कोई अहले-वफा ढूंढ़िए," अस्करी ने मुंह बना कर कहा। लेकिन छुट्टन मियाँ बोले- "ये तो माशूकों के चोचले हैं; हुजूर, वी अस्करी चलें ओर लाखों में चलें।" "बस चल चुके हम ।” "अजी बीच खेत चलो। लो हंस दो इसी बात पर,” नवाब ने गुद- गुदा कर कहा। अस्करी खिलखिला कर हंस पड़ी। छुट्टन मियाँ बोले-"खुदा ने यह हुस्न दिया है तो रईस तलुए सहलाते हैं।" "तो हमारे हुस्न में शक ही क्या है, धूम है अाज हमारी भी परी- जादों में ।” अस्करी ने कहक़हा लगा कर कहा । "अजी तो ठस्से से बाहर निकलना भी तो रईसों को ज़ेब देता है, टकलचों को नहीं । दो-चार खिदमतगार पीछे हैं, एक दो दोस्त मुसा. हिब साथ । मशालची है, महबूबा है, बस और क्या ।" "तो टमटम पर चलेंगे या छड़े दम घोड़े पर ?" "घोड़ों पर वी अस्करी कैसे चलेंगी ?" "लो और हुई, पूछो इस मर्दुए से,” अस्करी ने नाक सिकोड़कर कहा। "बस तो टमटम ठीक है।" जिस समय नवाब अपने दीवानखाने में बैठे मजे में गप्पें उड़ा रहे थे—उसी समय ड्योढ़ियों पर पहुंच कर चौधरी ने एक खिदमतगार 7 से पूछा- "नवाब साहब भीतर हैं ?" "जी नहीं, टमटम पर सवार हो हवाखोरी को तशरीफ ले गए हैं।" इतना कह कर वह तेज़ी से एक ओर को चला गया । चौधरी इधर-उधर देखने लगे। इसी समय भीतर से एक बूढ़ा आदमी निकला, उसे देख कर चौधरी ने पूछा-"बड़े मियाँ, नवाब साहब से मुलाकात कब होगी।"
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/८१
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