पहला प्रभात चौधरी प्राणनाथ के साथ उनके सात पुत्र और नौ पौत्र पौत्री थे। ज्येष्ठ पुत्र रामपाल की आयु बाईस बरस की थी। सब से छोटा पुत्र तीन साल का था। पौत्र पौत्रियों में कई दूध पीते शिशु थे । परिवार के अन्य व्यक्तियों में चौधराइन, पुत्र वधुएं और रिश्ते के इक्कीस पुरुष और उनके परिवार तथा बाल-बच्चे थे । इनके अतिरिक्त गुरुराम पुरोहित थे, जिन की आयु चालीस के लगभग थी। वे कथा-पुराणों के बड़े पण्डित और कर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे । उन के साथ भी उन की ब्राह्मणी, वृद्धामाता तथा दो बालक पुत्र थे। शेष व्यक्तियों में सेवक, खिदमतगार, सिपाही, गुमाश्ते, बरकंदाज और उन के परिवार थे । इन में दो व्यक्ति उल्लेखनीय थे । एक नाई सेवाराम-दूसरा मेहतर देवीसहाय । सेवाराम तीस बरस का कसरती पट्ठा था, और देवी सहाय अधेड़ उम्र का पुरुष था । ये दोनों जन स्वेच्छा से हठपूर्वक घर-बार छोड़ कर चौधरी के साथ बाल-बच्चों सहित आए थे । कुछ और लोग भी जिन का चौधरी से कोई लगाव सम्बन्ध न था--केवल चौधरी के प्रेम से उनके साथ आए थे। ये न चौधरी के नौकर थे--न परिजन। पर चौधरी के आसामी थे । वे लोग अपना घर-बार, ज़मीन सब कुछ छोड़ कर चौधरी की रकाब के साथ आए थे। चौधरी का व्यवहार सब से बंधुवत् था। और सब लोग उन्हें पिता समान ही मानते थे। चौधरी जैसे तलवार के धनी थे, वैसे ही बात के भी धनी थे। वे जैसे तेजस्वी थे-वैसे ही दाता, उदार और गम्भीर थे। वे धर्म-कर्म के पक्के, शुद्ध किन्तु निष्ठवान् हिन्दू थे । उनके ज्येष्ठ पुत्र रामपाल सिंह अपने पिता के योग्य पुत्र थे। रामपाल पक्के शहसवार, तीर और भाले के शौकीन । दूसरे पुत्र सुखपाल और तीसरे सुरेन्द्रपाल अभी किशोरावस्था में थे, परन्तु हथियार बाँधते थे । वह ज़माना ही ऐसा था कि सभी को सिपाही होना ही पड़ता था। किशोरपाल और विजय-
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