“मसलन हाथियों की लड़ाई, तीतरों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई, बटेरों की लड़ाई, रंडियों के मुजरे, भाँडों के तमाशे, शिकार, दावत, रोशनी, गाजे-बाजे और बहुत-से ऐसे ही आइटम जो उसके लायक़ दोस्त हज्जाम ने उसको सुझा दिए हैं।" "कौन है यह हज्जाम ?" "एक आवारागर्द और गुण्डा अंग्रेज़ है, जो एक जहाज़ में प्लेटे धोने का काम करता हुआ हिन्दुस्तान चला आया और कलकत्ते में हज्जाम की दूकान खोली और फिर उसकी किस्मत उसे लखनऊ ले आई, जहाँ उसने बादशाह को खुश कर लिया।" "यह कैसे ? आखिर बादशाह तक उसकी पहुँच कैसे हुई ?" लार्ड बैंटिंक ने आश्चर्य से पूछा ।" मेजर वेली ने हंस कर जवाब दिया-'किस्मत ही की बात समझिए कि मैंने ही उसे बादशाह के सामने पेश किया।" "तुमने मेजर, एक आवारागर्द अंग्रेज़ को ?" "हुआ यह कि वह पहले मेरे पास ही आया और उसने पहले मेरे बाल बनाए। इस फन में वह पूरा उस्ताद था और अपने काम से उसने मुझे खुश कर लिया । दुर्भाग्य से या सौभाग्य से मुझे, जैसा कहिए, बाद- शाह के बाल सूअर के बाल जैसे सख्त और रुखे थे, मैंने उसे बादशाह के सामने पेश किया, और उसने बादशाह के बालों को नर्म और चूंघर वाले बना दिया, बस उसकी तक़दीर का सितारा बुलन्द हो गया । वह बड़ा बातूनी, खुशामदी और धूर्त आदमी है । और इन गुणों की बदौलत अब वह बादशाह की नाक का बाल बन बैठा है । और शाही दस्तरखान पर बादशाह के साथ खाना खाता है । "क्या शाही दस्तरखान पर? तब तो मैं बादशाह के साथ खाना पसन्द नहीं करूँगा।" "बट, हिज एक्सीलेन्सी की शाही दावत में एक लाख रुपया खर्च किया जा रहा है।" h २७४
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२७०
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।