अराजकता, लूट, ठगी और अकाल की पूरी ज़िम्मेदारी हम अंग्रेजों ही पर है। क्योंकि हम ने बे-अन्दाज़ रुपया ज़बर्दस्ती अवध के नवाबों से वसूल किया कि जिस से शाही खज़ाना खाली हो गया और उन्हें रियाया पर जुल्म करके रुपया इकट्ठा करना पड़ा, जिस से तंग पा कर रियाया अपने घर-बार और खेतों को छोड़ कर भाग गई। आप क्या विश्वास करेंगे कि ये सब चोर, डाकू और ठग पेशेवर बदमाश नहीं हैं, बल्कि खानदानी ज़मींदार और शरीफ़ज़ादे लोग हैं, जो हमारे जोरो-जुल्म से बेजार हो कर मजबूरी हालत में ये बदमाश पेशे हथिया बैठे हैं।" "पर इससे क्या ? अवध के मालिक अभी तक नवाब बादशाह हैं, अंग्रेज़ नहीं। इसलिए मैं अवध के बादशाह से जवाब तलब करूंगा। मुल्क में जो बदअमनी फैली है, इस का कारण यह है कि उसमें बादशाहत करने की योग्यता नहीं । वह कारण बताए कि वह क्यों न गद्दी से उतार दिए जाएँ और सारा प्रबन्ध प्रानरेबुल कम्पनी बहादुर के हाथों ले लिया जाय ।" "मैं आशा करता हूँ योर एक्सीलेन्सी, कि इस बदनसीब और खप्ती बादशाह के पास, जो अपना सारा वक्त पाँच लोफ़र अंग्रेज़ मुसाहिबों के साथ बेहूदा हंसी मज़ाक़ करने और शराबखोरी में गुजारता है, जो छटे हुए शोहदे और उठाईगीर हैं, उसके पास आप के सवाल का जवाब नहीं है। "बस, तो अब मैं सीधा नवाब से मुलाक़ात करके मुंह दर मुंह दो- दो बात करने पर आमादा हूँ। मेजर, तुम्हारा क्या ख्याल है ?" "योर एक्सीलेन्सी, आप बिल्कुल ठीक निर्णय पर पहुँचे हैं, मैं आप से सहमत हूँ। लेकिन नवाब बादशाह ने हिज़ एक्सीलेन्सी के स्वागत- समारोह में जो बड़े-बड़े लवाजमे और धूम-धाम के इन्तज़ामात किए हैं, उनका क्या होगा ?" मेजर वेली ने हंस कर कहा- क्या-क्या इन्तजामात हैं ? २७३
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