पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२५८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रामदयाल ने वरग़ला रखा है योर मेजस्टी । ये दोनों ग़द्दार हमेशा ही शाही अहकाम की तौहीन करते और हमेशा ही रुपया देने में आनाकानी करते रहते हैं। पता नहीं लगता कि शाही खजाने का सब रुपया कहाँ जाता है ?" बादशाह एकदम आपे से बाहर हो गए। उन्होंने इधर-उधर देखा, नवाब रौशनउद्दौला आते नजर पड़े। उन्हें देखते ही बादशाह ने हुक्म दिया-"इन दोनों गद्दारों को गिरफ्तार कर के अभी कैद कर लो रौशन।" रौशनुद्दौला हक्का-बक्का हो कर बादशाह का और नाई का मुंह देखने लगे। बादशाह ने किन दोनों आदमियों को गिरफ्तार करने का हुक्म दिया है, यह उनकी समझ में ही नहीं आया। नाई ने कहा-'हिज मेजस्टी का हुक्म है कि वजीर आगामीर और दीवान रामदयाल को गिरफ्तार करके कैद कर लो।" रौशनुद्दौला नीची गर्दन करके चले गए। दोनों व्यक्ति असाधारण पद मर्यादा वाले थे। वे इस समय भी अपनी-अपनी कचहरियों में राज- काज कर रहे थे। वहीं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हथकड़ी- वेड़ी पहना कर कैदखाने में डाल दिया गया । बादशाह के हुक्म से उनका घर-बार और धन-सम्पत्ति भी कुर्क कर ली गई। और उनका पूरा कुटुम्ब कैदखाने में डाल दिया गया। सारे शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई और शहर में तहलका मच गया। इसके बाद फर्रुखाबाद से नवाब मुन्तजिमुद्दौला को बुला कर वजीरे- आजम बनाया गया। आगे ये हकीम महदी अली खाँ के नाम से प्रसिद्ध हुए । विलायती नाई से इनकी पटरी बैठ गई। दोनों मजे से अपनी गठरी सीधी करने लगे। २६२