पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२४७

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और सांठ-गाँठ में लगा। जब अचानक ही बादशाह का ध्यान कुदसिया बेगम के नवजात शिशु की ओर गया उसे रह-रह कर यही विश्वास होने लगा कि वह उसका औरस पुत्र नहीं है। कुछ स्वार्थी लोगों ने उसे यह विश्वास दृढ़ कराने की चेष्टा भी की। अन्त में वह उस निर्दोष शिशु को मार डालने पर आमादा हो गया। परन्तु ये सारी ही सूचनाएं बादशाह की माता जनाबे आलिया बेगम को पहुँच रही थीं, जो बड़े ही पवित्र विचार की महिला थीं। उन्होंने जब यह सुना कि नसीर उस बालक को मार डालना चाहता है तो उसने उस बालक को अपने संरक्षण में ले लिया और उसका नाम मन्नाजान रखा। नसीर ने जब यह सुना तो वह आगबबूला हो गया। उसने जनाले आलिया बेगम से बालक को माँगा, परन्तु उन्होंने देने से इन्कार कर दिया । एक बार नसीर के पिता ने भी जब नसीर की हत्या करनी चाही थी, तब इसी महिला ने उसके प्राण बचाए थे। अब वह इस अबोध शिशु की रक्षा कर रही थी। उसने नसीर की बहुत लानत मलामत की। ये सब घटनाएं हो ही रही थीं कि उसे सूचना मिली कि कलकते में कम्पनी सरकार के नए गवर्नर-जनरल लाई बैंटिक पाए हैं, और वे बादशाह से मुलाक़ात करने और अवध की रियासत का प्रबन्ध देखने लखनऊ तशरीफ़ ला रहे हैं । इस सूचना से नसीर के हाथ-पैर फूल गए। क्योंकि इस समय राजकोष खाली था। बदअमनी और बदइन्त- जामी से सारे राज्य में अराजकता और भुखमरी फैल रही थी। राजमहल षड्यन्त्रों और उलझनों का अड्डा बना हुआ था। राज्य की यह दुरवस्था नए गवर्नर-जनरल के कानों तक पहुंची थी और वह अवध की दशा अपनी आँखों से देखने आ रहे थे । अब इस बालक की समस्या और भी गम्भीर हो गई थी। कायदे के अनुसार मन्नाजान बादशाह का बेटा था। पर स्वार्थियों ने उसके हृदय में यह संदेह भर दिया था कि वह कदाचित उसका औरस पुत्र है ही नहीं। यह अधिक सम्भव था कि गवर्नर-जनरल अवध के 1 २५१