। डेरे तम्ब डाल कर दरबारी अमीर-उमरा और राज कर्मचारी जश्न मना रहे थे। बादशाह को बड़ी लालसा थी कि इस बेगम के गर्भ से पुत्र उत्पन्न हो और उसे वह अपना वारिस बनाए। इस काम के लिए बड़े- बड़े उपचार किए गए थे। बड़े-बड़े हकीम- तवीब, वैद्य, स्याने- दिवाने बुलाए गए थे। बड़े-बड़े पीर, फ़क़ीर, शाह और प्रौलिया वहाँ पहुँचे थे। उनकी अच्छी बन पड़ी थी। सब ने अच्छी लूट मचाई थी। बहुत से निर्धन धनी हो गए। राज्य-भर के फ़क़ीरों को निमन्त्रण दिया, क्योंकि बेगम को गर्भ रह गया था। रियाया में जश्न मनाने का हुक्म जारी हो गया था। चारों तरफ़ फव्वारे चल रहे थे। खवासनियाँ दौड़-धूप कर रही थीं। बादशाह एक मसनद पर अधलेटे पड़े थे। कुदसिया वेगम उनके पहलू में थी। खवासें शराब के प्याले बादशाह को देतीं और बादशाह उन्हें कुदसिया बेगम के होठों से लगा कर और आँखें बंद करके पी जाते थे । नाचने वालियाँ नाच रही थीं। एक नाचने वाली की अदा पर फ़िदा होकर बेगम ने अपने गले का जड़ाऊ हार उसकी ओर फेंक कर सब को वहाँ से भाग जाने का संकेत किया । सब के चले जाने पर हँस कर उसने बादशाह के गले में हाथ डाल दिया। और कहा-"मेरे मालिक, तुम्हारी इनायत से मैं नाचीज़ क्या से क्या हो गई। तुम ने मुझ को इस क़दर २२८
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२२४
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