पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२१५

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हित देखता तथा अंग्रेजी प्रभुत्त्व का ध्यान रखता था। नसीरुद्दीन हैदर ने दो करोड़ रुपए खर्च करके जो अंग्रेजों से 'हिज- मैजस्टी' की उपाधि खरीदी थी--उसका भला भाँति उपयोग करने के लिए वे सिर से पैर तक अंग्रेज़ी लिबास में रहते थे। उनके पिता गाजी- उद्दीन सच्चे मुसलमान थे-हमेशा तस्वीह हाथ में रखते और कुरान शरीफ़ की आयतें पढ़ते रहते थे । परन्तु नसीरुद्दीन को अंग्रेजों की सोहबत और अंग्रेज़ी लिबास ही पसन्द था। जब कोई अंग्रेज़ उसे 'योर- मैजस्टी' कह कर सम्बोधन करता था-तो नसीर अानन्द के साथ बहुत सा गर्वभी अनुभव करते थे। इस आनन्द की अभिवृद्धि के लिए उन्होंने पाँच अंग्रेज़ मुसाहिब रखे हुए थे। इन में एक हज्जाम था, जो एक आँख से काना था। पर वह इस समय बादशाह की मूंछ का बाल हो रहा था। यह एक जारज और आवारा लड़का था, जिसने बचपन ही से हज्जाम का काम सीख कर लंदन में एक सैलून खोला था। पीछे वह धन कमाने की लालसा से भारत चला आया था। लंदन में ही उसने सुना था कि ईस्ट- २१३