पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२०९

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दस हजार पौंड सालाना बचाते चले जाइए।" "निस्संदेह, मैं आशा करता हूँ कि केवल ३६ साल की उम्र में जब- कि मेरे जीवन की शक्तियाँ अपने शिखर पर होंगी, तीस हजार पौंड की रकम लेकर मैं इंगलिस्तान वापिस जा सकूँगा। सच तो यह है कि इससे अधिक धन कमाने की मैंने कभी कामना भी नहीं की थी।" "मेरे प्यारे लार्ड, मैं तो यह समझता हूँ कि आप ५० हजार पौंड की रकम लेकर स्वदेश को लौटेंगे।" "धन्यवाद सर मैटकाफ, लेकिन इन काले, घिनौने और अंधविश्वासी भारतीयों के बीच में रहना तो अत्यन्त ही असह्य है।" "बेशक, खास कर उस हालत में जब कि आप न तो उनके देश की कोई भाषा जानते हैं, न रीति-रस्म जानते हैं, न उनसे कोई सहानु भूति रखते हैं।" "राइट यू आर सर ; हक़ीकत तो यही है। लेकिन मुझे दो काम करने हैं-पहला यह, कि मैं उनके लिए कानून बनाऊँ, उसमें मुझे एक ही बात को नजर में रखना पड़ेगा कि उसके द्वारा अंग्रेजी सरकार के हाथ मजबूत हों और सर्वसाधारण असहाय रह जाएँ।" "तो माई लार्ड, शायद यह उसी ढंग का कानून प्राप बनाने जा रहे हैं, कि जैसा हमारा बनाया हुआ आयरिश पिनल कोड है कि जिसके बाबत बर्क ने कहा था, कि वह एक ऐसा पेचीदा यन्त्र है जो किसी कौम पर अत्याचार करने, उसे दरिद्र बनाने और उसे प्राचार-भ्रष्ट करने और उसके अंदर से मनुष्यत्व तक का नाश करने में अद्वितीय है।" "आप बड़ी सख्त राय रखते हैं सर मैटकाफ, परन्तु हम जानते हैं कि भारतवर्ष को कभी स्वतन्त्र नहीं किया जा सकता। लेकिन कभी न कभी एक मजबूत और निश्पक्ष स्वेच्छा शासन उसे मिल सकता है।" "माई लार्ड, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि लॉ मेम्बर का काम है, हिन्दुस्तानियों को कानून की सुनहरी जंजीरों में जकड़ देना, और मैं श्राशा