मेज की बाई ओर एक आराम कुर्सीपर पर सैयद तेग अली साहब विराजमान थे और बीच-बीच में मिस कान्ति को चाल बताते थे।
इतने में हमारे दोनों मित्र जा पहुँचे। डाक्टर साहब ने उठकर दोनों सज्जनों हाथ मिलाया। मिस कान्ति ने उनकी ओर दबी निगाहों से देखा और मेज पर से एक पत्र उठाकर पढ़ने लगीं।
डाक्टर साहब ने अंग्रेजी में कहा, मैं आप लोगो से मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ। आइये आप लोगों को मिस कांति से इन्ट्रोडयूस करा दूँ।
परिचय हो जाने पर मिस कान्ति ने दोनों आदमियों से हाथ मिलाया और हंसती हुई वाली, बाबा अभी आप लोगों का जिक्र कर रहे थे। मैं आपसे मिलकर बहुत प्रसन्न हई।
डाक्टर श्यामाचरण—मिस कान्ति अभी डलहौसी पहाड़ से आई है। इसका स्कूल जाड़े में बन्द हो जाता है। वहाँ शिक्षा का बहुत उत्तम प्रबन्ध है। यह अंगरेजों की लड़कियो के साथ वोर्डिंगहाउस में रहती है। लेडी प्रिंसिपल ने अबकी इसकी प्रशंसा की है। कांति जरा अपनी लेडी प्रिंसिपलकी चिटठी इन्हें दिखा दो। मिस्टर शर्मा, आप कान्तिकी अंगरेजी बात सुनकर दग रह जायेंगे (हंसते हुए) यह मुझे कितने की नये मुहाविरे सिखा सकती है।
मिस कान्ति ने लजाते हुए अपना प्रशंसापत्र पद्मसिंह को दिखाया। उन्होने उसे पढ़कर कहा, आप लैटिन भी पढ़ती है?
डाक्टर साहबने कहा, लैटिन में अबकी परीक्षा में इन्हे एक पदक मिला है। कल क्लब में कान्ति ने ऐसा अच्छा गेम दिखाया कि अंगरेज लेडियाँ दंग रह गई। हां, अबकी बार आप हिन्दू मेम्बरो के जलसे में नहीं थे? पद्म, मैं जरा मकान पर चला गया था।
डाक्टर- आपही के प्रस्तावपर विचार किया गया। मैं तो उचित समझता हूँ कि अभी उसे बोर्ड में पेश करने में जल्दी न करे। अभी सफलता की बहुत कम आशा है।