जाहिरात। श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण। | शेष सब ापा और श्लोकांक भी लगे हुए दो संस्कृतमूल तथा भाषाटीका सहित। भागोंमें विलायती बढ़िया सुन्दर सुनहरी अक्ष- रोंकी जिल्द बंधी है बहुत नहीं दश रुपये १० पण्डित ज्वालाप्रसाद मिश्र अनुवादित। | में घर बैठे पहुँचा देंगे। यदि आप रामचरितामृत पान करनेकी इच्छा करते हैं, यदि आपके हृदयमें रघुराज शुकसागर। की भक्तिका स्रोत वहताहै यदि आदि कवि | वाल्मीकिजीकी मनोहारिणी चमत्कारिणी | कविवर लाला शालिग्रामजी अनुवादित । कविताका स्वाद लेने की इच्छा है, यदि दशरथ | लीजिये अबदेर करनेका समय नहीं यदिआप कुमारकी लीला इस आर्यग्रंथके द्वारा जानने | कृष्णचरितामृत पान करने की इच्छा करते की इच्छा है, यदि आपको त्रेतायुगकी वाणी | हो यदि श्रीमद्भागवत का परम मनोहर अनु का स्वाद लेना है, तो इस सटीक रामायणके वाद और चारपदार्थ हस्तगत करना चाहते स्वाद लेनेसे न चूकिये, इसमें प्रत्येक श्लोककी | हो, यदि कृष्णचन्द्र आनंदकंद गोविन्द के मन टीका पूर्ण आशय भावार्थ शंका समाधान पद | भावन सुख उपजावन पवित्रचरित्र पाठ करने टिप्पणी आदि ऐसी रीतिसे लिखीहै कि, सर्व | की उत्कण्ठा है, यदि अन्यभी महाभारतादि साधारणके ध्यानमें सब प्रकार आजावेंपढ़नसे बड़े बडे ग्रंथोंके आख्यान एकही पुस्तक में पत्रे हाथमें लेकर छोड़नेको जी नहीं चाहता, ! देखना चाहते हो, यदि चटपटे अनूठे प्रेमरस भापाकी शैली इस प्रकार रक्खीहै कि, वरावर भरे भजन दोहा चौपाई सोरठा कवित्तादि की पाठ करनसे प्रेमसागर हृदयमें उमड़ता चला | मिठाईके स्वाद की चाहना है,यदि प्रत्येक अध्या आताहै,मानो यह लीला नेत्रोंके सामने होरही | यके शंका समाधान की इच्छा है तो इस नवीन है ऐसा ध्यान बंध जाताहै, बहुतकालसे महा- | शुकसागर के लेने में देर न कीजिये, यह ग्रंथ स्माओंको इसकी अभिलाषाथी, सो आपहीके | अनेक विषयों के होने से बहुत बढ़गया है, इस निमित्त इस ग्रंथको बड़े टाईपमें चिकने मोटे | कारण अच्छे चिकने काग़ज़पर बडे टाईप के काग़जपर छापकर तयार कियाहै, मूल्यभी अक्षरों में दोभागों में छापकर तयार किया है डाकव्यय समेत केवल २१ ही रुपये हैं। देखो अक्षरभी इतने बड़े हैं कि वृद्धजनभी सुग मता से पढ़सकेंगे, मूल्य इतने परभी १०) रुपये वाल्मीकीय रामायण केवल भाषा। और २= डाकमहसूल रक्खाहै वजनभी और भी सुभीता है-ऊपरके सब अलंकारों पक्का १० सेरका है केवल लागतका यह दाम | से युक्त सर्गके आदि अन्तके श्लोक लिखकर | है पुठ्ठा बढ़िया विलायती कपडेका है.
पृष्ठ:सूरसागर.djvu/९२
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।