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सूरसागर।


हरि होरी है॥ गजजीतहु बल आपने हरि होरीहै। ज्ञान वैराग छँडाय अहो हरि होरी है॥१३॥ देखि भले सुभट आपने हरि होरी है। दियो द्वादशघोष विचारि अहो हरि होरी है। करहु क्रिया तैसी सबै हरि होरी है। होइ निशंक नर नारि अहो हरि होरी है॥१४॥ ढोल भेरि डफ बांसुरी हरि होरी है। बाजैं पटह निसान अहो हरि होरी है॥ मिलहु लोकपति छाँडिकै हरि होरी है। नाहिं उबरिवो निदान अहो हरि होरी है॥१५॥ रथ औचक बरात साजैं हरि होरी है। खरन भए असवार अहो हरि होरी है॥ धूरि धातु रंग घट भरे हरि होरी है। धरे यंत्र हथियार अहो हरि होरी है॥१६॥ जहां तहां सैन्याचली अहो हरि होरी है। मुक्तकाछ शिरकेश अहो हरि होरी है॥ आपौ पर समुझै नहीं हरि होरी है। राजा रंक अवेस अहो हरि होरी है॥१७॥ जे कबहूं देखे नहीं हरि होरी है। कबहुँ न सुनी न कान अहो हरि होरी है॥ तिन्ह कुलनारि निडरभई हरि होरी है। लागे लोग परान अहो हरि होरी है॥१८॥ भस्मभरै अंजन करैं हरि होरी है। छिरकैं चंदन बारि अहो हरि होरी है॥ मर्यादा राखैं नहीं हरि होरी है। कटिपट लेहिं उतरि अहो हरि होरी है॥१९॥ जहां सुनहिं तप संयमी हरि होरी है। धर्म धीर आचार अहो हरि होरीहै॥ छेकहिं नहीं निशंक होइ हरि होरी है। पकरहिं तोरि किंवार अहो हरि होरी है॥२०॥ शठ पंडित वेश्यावधू हरि होरी है। सब निकसीं एकै सारि अहो हरि होरी है॥ तेरसि चौदास दिवस द्वै हरि होरी है। जबजीते जगझारि अहो हरि होरी है॥२१॥ पून्यो प्रगटी प्राणपति हरि होरी है। दुरे मिले पा लागि अहो हरि होरी है। जहां तहां होरी जरै हरि होरी है। मनहुँ मवासे आगि अहो हरि होरी है॥२२॥ सब नाचहिं गावहिं सबै हरि होरी है। सबै उडावहिं छार अहो हरि हारी है॥ साधु असाधुन समुझहीं हरि होरी है। बोलहिं वचन विकार अहो हरि होरी है॥२३॥ अति अनीति मितिदेखि कै हरि होरी है। परिवा प्रगटी आनि अहो हरि होरी है॥ विमल बसन तनु साजहीं हरि होरी है। मर्यादाकी कानि अहो हरि होरी है॥२४॥ आवतही आदर करैं हरि होरी है। हँसि जोराहिं उठि हाथ अहो हरि होरी है॥ बरन धर्म मिति राखहीं हरि होरी है। कृपाकरौ रतिनाथ अहो हरि होरी है॥२५॥ सुनि विनती ऋतुराजकी हरि होरी है। प्रभु समुझे मनमाहँ अहो हरि होरी है॥ जाय धर्म अपने रहो हरि होरी है। वसो हमारी बाँह अहो हरि होरी है॥२६॥ और कहां लौं बरनिए हरि होरी है। मनसिज के गुणग्राम अहो हरि होरी है॥ सुनहु श्याम या मासमें हरि होरी है। किये जु कारण काम अहो हरि होरी है॥२७॥ सूररसिक मणि राधिका हरि होरी है। कहि गिरिधरसों बात अहो हार होरी है॥ श्याम कृपा करि ब्रजरहौ हरि होरी है। वरजति मधुवन जात अहो हरि होरी है॥२८॥५३॥॥ राग जयजयवंती ॥ माई फूले फूले हो फूलत श्रीराधे कृष्ण झूलत सरसरसही फूलडोल। फूले फूले फूल जोरत फूले निमिषनहीं मोरत संतन हितही फूल डोल॥१॥ फूल स्फटिक खँभ रचित कंचनही फूल खचित सरस रही फूल डोल। पटुली नवरतन पचित हीरालाल मोती फूल जटित संतन हितही फूल डोल॥२॥ मरुवा मयारि सुठि ढरिरोल प्रवाल पिरोजा झूमका चहुँ ओल सरस रसही फूल डोल। डाँडी हेम होने चारु गोल चुनी नहीं फूल लगे लोल संतन हितकी फूल डोल॥३॥ फूले श्रीवृंदावन अनुकूल सघनलता सब फूले फूल सरस रसही फूल डोल॥ फूले श्रीयमुनाकूल विविध तरंगरंग फूले फूल संतन हितही फूलडोल॥४॥ फूलेहीन चंपक चारु चमेली फूले मलयज लवंगलता बेलि सरस रसही फूल डोल। फूले बेल निवारी फूल