। श्रीसूरदासजीका जीवनचरित्र । . 'ललितललाम। ...... .. परम प्रवीन धीर धरम धुरीन दीनबंधु सदा जाकी परमेश्वरमें मतिहै। दुर्जन विहाल करि याचक निहाल करि जगतमें कीरति जगाई ज्योति अतिहै ॥ राउ शत्रुशालके सपूत पूत भाउसिंह मतिराम कहै. जाहि साहिची फवतिहै। जानपति दानपति हाड़ा हिन्दुवानपति दिल्लीपति दलपति बालाबंद पतिहै ॥२॥ . कैसे आसमानसे विमानसे घटासे गज रावरे चलत मानौ मेरुसे. लहति है ॥.. . 'अतल वितल तल हलत चलत दल गज मद राजै दिगदंती चिक्करतिहै ।. कहै मतिराम शम्भु द्विरद दराज ऐसे जिन्हें पाइ कविराज आनद भरतिहै। कुंभ छाये षटपद मदनि करद नद कदनि विलंद गढ़ गरद करतिहैं ॥३॥ छप्पय ॥ जबलगि कच्छप कोल सहस मुख धरणिभार धर । जबलगि आगै दिशनि दावि सोहत दिग्गजवर जवलगि कवि मतिराम सगिरि सागर महिमंडल । जबलगि सुवरण मेरु सघनघन मगन अगनचल नृपशवशालनंदन नवल भावसिंह भूपाल मनिाजग चिरंजीव तबलगि सुखितकहत सकल संसार धनि दो-भौंह कमान कटाक्ष शर, समरभूमि विचनैन । लाज तजेहूं दुहुँनके, सलज सुहृदसे वैन ॥३॥ रूपजाल नंदलालके, परिकरि बहुरि छुटैन । खंजरीट मृगमीनसे, ब्रजवनितनके नैन ॥२॥ बानीको वसन कैधौं बातको विलास डोल कैधों मुखचंद्र चारु चांदनी प्रकास है। ... कवि मतिराम कैधों कामको सुयश के पराग पुंज प्रफुलित सुमन सुवास. है ॥ . नासा नथुनीके गजमोतिनके आभा कैंधों रतिवंत प्रगटित हियेको हुलास है।... सीत करिबेको पिय नैन धनसार कैधों बालाके बदन विलसत मृदु हास है ॥ ४॥ छंदसार पिंगल। दाता एक जैसो शिवराज भयो जैसो अब फतेसाहिसी नगर साहिबी समाजुहै। .... जैसो चित्तौर धनी राना नरनाह भयो जैसोई कुमाऊं पति पूरो रज लाजु है ।। जैसे जयसिंह यशवंत महाराज भयो जिनको महीमें अजों बाढ़यो बलसाजुहै। .. मित्रसाहि नंद सी बुंदेल कुलचंद जग ऐसो अव उदित स्वरूप महाराज है। लछमनही संगलिये जोबन विहार किये सीता हिये बसे कहोतासों अभिरामको। नव दल सोभा जाकी विकसे सुमित्रे लखि कोशलै वसत कोऊ धाम ठामको॥ . . कवि मतिराम सोभा देखिये अधिक नित सरस निधान कवि कोविदके कामका कीन्होंहैं कवित्त एकतामरसहीको यासों रामको कहतकै कहत कोऊ वामको। रसराज। चंदन चढ़ारी नभ चंदन चढ़ारी अंग चंद उजियारी देखि नकराति कैसी है।. ... फंद फंदफवदी गंसीली गांठि दि मेदि मंदि मूदि मुख-मंद मंतरात कैसी है।... मतिराम मिलन विहारी तूं प्यारी चलु नितरति बारी आजु जकराति कैसीहै । .. कतरात कैसी बात बतरात कैसी जात सतरात कैसी रात रत रात कैसी है ।। ७॥ .. चोरकीचोर छिनारछिनारकीसाहुकीसाहुवलोकीबली।ठगकीठगकामुककामुककीअरुकैलकी लंछलीकीछली प्रवीणनकीपरवीणहीनानमतिरामनजानेकहापौंचलीउनफेरिदईनथकीमुक्ताउनफेरिफूिंकीगुलाबकली। गोपबंधूतनतोलतडोलतबोलतबोलजुकोनलभाष उरूनितंबनिकीगुरुतापगजातगयंदनिकीगतिना आंगमभोतरुणापनकोमतिरामभनैभईचंचलोखंजनकेयुगसावकज्योंउडिआवतनाफरकावतपाँ
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