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रस-सामग्री . रस-सामग्री+सहृदय के हृदयगत स्थायी भावों के संस्कार रस काव्य के वयं--रस-सामग्री (कारणस्वरूप बाह्य जगत में) . विभाव (कार्यरूप अन्तर्जगत में) भाव (भावों के कार्यरूप प्राश्रय की चेष्टाएँ आदि) अनुभाव आलम्बन . उद्दीपन स्थायी समचारी सात्विक भाव साधारण अनुभाव (स्वेद, कम्पादि) (मूल कारण) (सहायक कारण) (प्रधान और (सहायक और व्यापक भाव, पोषक भाव इनके संस्कार जो समुद्र की सहृदय पाठक लहरों की भाँति में भी रहते हैं) उठते और विलीन ___ होते रहते हैं) सचेतन प्रचेतन (आलम्बन की चेष्टाएँ) (प्राकृतिक दृश्य)