पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९९

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सितार मालिका ऐसा विचित्र कार्य कर रहे हैं। अतः हमें विश्वास है कि पाठक इस रहस्य को गुप्त रख कर स्वयं अभ्यास करेंगे और इस क्रिया के द्वारा बड़े-बड़े सितारियों की भांति ही सम्मान पाने के अधिकारी बनेंगे । oly हां, तो अब साढ़े नौ मात्रा की गति को बनाने के लिये आप कोई भी ऐसे तबले के बोल बजाइये जो साढ़े नौ मात्राओं में समाप्त हों। उन्हीं के ऊपर दिड दा डा आदि बजा दीजिये । उदाहरण के लिये हम एक बोल ढाई मात्रा में धीना धिंतिर किट २ लेते हैं। अब यदि इस किट वाले श्राधे भाग में धी और जोड़ दें तो यह बोल 'धीना धिंतिर किट,धी' हो जायेंगे । अब साढ़े नौ मात्रा की गति निर्माण करने के ६६-४ सम लिये हम धीना को आठवीं मात्रा समझ लें तो चिंतिर नवी मात्रा हो जायगी और दसर्वी मात्रा के पहिले आधे में तो किट बोल होगा और दूसरे प्राधे में धी । अब यदि झपताल के ही सात बोल इसमें पहिले जोड़ दें तो इसका रूप निम्न लिखित होगाः- ६ धी ना धी धी ना ती ना धीना धितिर किट,धी १ २ ३ ६ ना- ३ ५

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-ना इसमें धिंतिर किट, के बाद जो धी पायेगा वही अगली आवृत्ति का सम अर्थात् पहिली मात्रा होगी। इस प्रकार दो पूर्ण आवृत्तियाँ बज जाने पर आपकी उन्नीस मात्राएँ पूरी होंगी। यह निम्न प्रकार होगाः- धी धी- धीना धिंतिर किट,धी २ ६ ना -धी -धी ना -ती -धी नाधिं तिरकिट धी १३ १५ १८ १६ इसे निम्न प्रकार बोलिये:- धीई नात्रा धीई धीई नाआ तोई नात्रा धीना १ ३ ईधी ईना आती ईना श्राधिं नाधिं तिरकिट धी १३ १६ इसी आधार पर कुछ और गतें भी देखिये। धितिर किट,धी २ 49 ६ ईना आधी X