पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/६६

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आठवां अध्याय साग, गम, मम, मनिध, धसानि, निगसा, सामग, गमऽमम, मग, गम गसा, सासासागगग म । अब मध्य सप्तक का धैवत भी मिलायेंगे। जैसे, गमध, धम, गमगधम, मधमग मधम, मगसागमधम, साग, गम, मधु, म, निमा, साग, गमऽम, गमधम, गमगसानिध, धनिसागम, धम, गगमगसा, सामासागगगमा । X अब कुछ निपाद के भी मेल देखिये। गमधुनि, मधनि, धनि, गम, गध, मध, मनि, धनि, धुमगगम, सागुम, धनियम, निसाग, सागम, गमध, मनिध, नि, धनिनि X धमगम, सागमधनिधमगम, गसा, सासासागगग म । अब तार सप्तक के पड्ज कोभी लेते हैं। देखिये म, मम, गम, धनिमां, धनिप्लां, मधुनिसां, धनिधम, गम, धनिसा, साग, गम, मध, धनि, निसां, धनिसांनिधनिधम, सांनिसांधनिसांनिधनिधम, निसांसां, धनिनि, धनिधम, गम, सागमधनिसांनिधुनिधमगम, गसा, सासासागगग म । X यहां इस बात का ध्यान रखिये कि इन स्वर-विस्तारों को रटने की आवश्यकता नहीं है। वरन् वादी स्वर का ध्यान रखते हुए सदैव नई-नई रचना करने का प्रयत्न करिये। ताने बनाने का ढंग--- अब आपको इमी राग की कुछ ताने बनाने का ढंग भी दिखाते हैं। प्रत्येक तान सोलह स्वरों की है। प्रत्येक का उठान अर्थात प्रारम्भ मन्द्र सप्तक के धैवत से है। अंत भी प्रत्येक का निसा पर किया गया है। देखियेः- (१) ध नि सा ग म ध ग म ध नि घ म ग सा सा (२) ध नि सा, ध नि सां म ग सा नि सा