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फरमाइश चक्रदार बनाना—— अभी तक आपने जो चक्रदार देखी हैं उनमें एक विशेषता यह थी कि पिला समधा सहित जो पहिला मुखड़ा था उसके 'धा' पर आया। दूसरे चक्र में बीच के मुखड़े े साथ में जो ना था उस पर सम था। और अनर्थ में तीसरा चक्र में तीसरे मुखड़े के साथ जो ना था उस पर सम आया। इस प्रकार की चक्र दालों को फरमाइश ीी चक्रदार कहते हैं यदि आपने पन्द्रह मात्रा का बोल लेकर ना सहित मुखड़ा चार मात्रा का ले लिया तो हम किसी भी धार्मिक पर न आकर चक्रदार के अन्त में ही आयेगा। इस प्रकार की चक्रदारो को "साधारण चक्रदार"कहता है।

साधारणन चक्रदार बबनाना—— उदाहरण के लिए टुकड़ा नं० ४को दूनी लय में लेकर और उसमें मामूली सा परिवर्तन करके उसे ग्यारह मात्रा का टुकड़ा बनाते हैं। जब इसी ग्यारह मात्रा का टुकड़ा को तीन बार बजायेंगे तो हम केवल अनंत के नाम पर आयेगा। यह हमारी इस प्रकार दो आवृत्ति की चक्र दार बनेगी। देखिए (नं० ३) ता—थुंगा तकथुंगा तिग्धेत्र थुंगातक्का दिगदिगथेई १२३४५६ (यहां तक की बोल ज़र्रों हके तथ्यों हैं, अब आगे परिवर्तन करते हैं) तत्तत्त्तत् जेई,तत्तत् थेई ७८९१०११

जब इन ग्यारह मात्राओं को तीन बार बजायेंगी तो तीन ताल में दो आवृत्ति की साधारण चक्रदार बनाने के लिए आप किसी प्रकार सत्तईस बोल किसी भी वजा डालिए

साधारण चक्र दार बनाने का दुसरा नियम—— साधारण चक्र दार बनाने के लिए आप किसी प्रकार सत्ताईस बोली किसी भी व्यक्ति में वजा डालिए। धिरकिट तकधिर किटघिर किटतक धिंतड़ा नत्रक धिन्ना त्रगिधात् १२३४५६७८