पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१४९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२८ सितार मालिका दो आवृत्ति में तीये- अब एक टुकड़ा दो आवृत्ति का देखिये । जिस प्रकार का टुकड़ा हम यहां दे रहे हैं उसे तबला वादक जवाबी परन कहते हैं। कारण, इसमें एक बोल जिस प्रकार बजता है उससे अगला बोल उससे उल्टा बजता है। किन्तु श्रापको यहाँ तबले की विशेषता जानने की आवश्यकता नहीं, आप तो इसे सितार पर ही बजाकर आनन्द लें। तीया नं०१० X कत्ततिट तिटतिट कतिटक तिटकत ! कतगदि गिनतग तिटकत गदिगिन ० ३ धित्तगि -नकत गिधि-न्न धा-कत | धिं-तड़ा -जधा- वि-ता- X धा धाधा धा,कत २ धिं-तड़ा -नधा- धिं-ता- धा o धाधा ३ धिं-ता- धा,कत धिं-तड़ा -नधा- धा धाधा धा तीया नं०११ यह टुकड़ा भी दो श्रावृत्ति का । इसमें पहिले नौ मात्राओं को तीन बार कहा गया है और अन्त में तीया जोड़ दिया है। जब नौ मात्राएँ तीन बार एक समान बजती हैं तो सुनने पर ताल में गलत हो जाने का भ्रम उत्पन्न होता है। यह नाच का टुकड़ा है। आप इसे कंठ करके बजाकर देखिये:--- X २ घिटधिट धिटा-न तकथो- धिटा-न; तकथु- थु-तक थु-थु- तीधादिगदिग ३ धिटधिट धिटा-न तकथो- विटा-न तकथु- थु-तक थु-थं- x तीधादिगदिग थेई; धिटधिट २ धिटा-न ! तकथो धिटा-न तकथु- थु-तक