पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१३८

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पन्द्रहवाँ अध्याय इसके लिये कुछ सितार वादकों ने सुविधानुसार नये बोल बना लिये हैं। इस प्रकार के बोल बजाने और कंठ करने में सरल तथा लय में टेढ़े बनाने की ओर ध्यान देकर बनाये जाते हैं। नीचे एक ऐसा ही बोल दिया जाता है, इसे बजाने से पूर्व कंठ कर लेना आवश्यक है। यह वोल कतकत कत धा को तीन बार बजाकर कतधा कतान धाधाधा का तीया जोड़ देने से बना है । यह ताल में इस प्रकार आयेगाः-- तीन धा का तीया-- कतकत कत्तधा- कतकत कतघा- कतकत कतधा- कतधा- कता-न ० ३ धा-धा-, कतधा-कता-न धा-धा- धा-धा-धा-कत धा-कता -नधा- धा X SA बजाने की युक्ति- इसे बजाने के लिये, राग में लगने वाले किन्हीं भी चार स्वरों पर दाड़ा दाड़ा' बजा दीजिये । बस यही आपका कतकत बज गया। इसी प्रकार कत धा- को भी किन्हीं तीन या चार स्वरों पर बजा डालिये। यदि तीन स्वरों पर बजायेंगे तो अंतिम स्तर पर धा को वजाने के लिये कुछ काल ठहरना पड़ेगा। परन्तु यदि चार स्वरों पर बजायेंगे तो दिमाग में केवल धा- रहेगा, जबकि मिजराज दाड़ा में पड़ेगी। तीन स्वरों के स्थान पर इसे चार स्वरों पर बजाने से श्रोताओं की पकड़ में नहीं आ सकेगा । परन्तु जब तक उत्तम रीति से अभ्यास न हो जाये तब तक तीन स्वरों पर ही बजायें। तो इस प्रकार आपने कतकत कतधा बजा लिया । अब इसी प्रकार भिन्न-भिन्न स्वरों पर इसे दो बार और बजा डालिये। यह आपका कतकत कतधा-तीन बार बज चुका। अब 'कत धा कतान धा धा धा को भी किन्हीं स्वरों पर इस प्रकार बजा- इये कि तीनों धा आपके उसी स्वर पर बजे जिस पर सम है । साथ में जिन स्वरों पर एकबार कतधा कतान बज चुका है, जहां तक हो, ठीक उन्हीं स्वरों पर यह दो बार और बजना चाहिये । इस प्रकार तीनों बार 'कतधा कतान धा धा धा' एक ही स्वरों पर बजने से तीये का रूप ले लेंगे । बस, यही एक तीया हो गया। इसे कितने प्रकार से बजाया जा सकता है ? अब जिस राग में इसे बजाना हो उसी की गति में सम से शुरू करके बजा डालिये । इसे कई प्रकार से बजा सकते हैं। मान लीजिये आप इसे मालकोंस में बजाना चाहते हैं । आपकी गति का सम तार षड्ज पर है। अब एक बार तो इसे इस प्रकार