पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१३१

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चौदहवाँ अध्याय ताने बनाने का क्रम जैसा कि पिछले अध्याय में बता चुके हैं कि एकS इस प्रकार एक-एक मात्रा में चार-चार भिन्न स्वर लेकर, जितनी मात्रा की भी तानें बनाना चाहें बना लीजिये। जिस स्थान से गति में मिलना चाहें, मिलते रहिये । तानें बनाने का एक क्रम हम पाठवें अध्याय में लिख चुके हैं। दूसरी प्रकार की प्रायः अलंकारिक ताने सितार में काम में आती हैं। इन तानों को बनाने के लिये किसी भी अलंकार का सहारा ले सकते हैं। उदाहरण के लिये यदि आप सात, पांच, नौ या ग्यारह स्वरों के अलंकार बनायें और उन्हें दूनी लय में बजायें तो प्रत्येक अलंकार आधी मात्रा पर समाप्त होगा, जो अधिक सुन्दर लगेगा। जैसेः-सांसा रे सा रे सां नि ध, निनि सां नि सां नि ध प, धध निध नि ध प म, पप ध प ध प म ग, मम प म प म ग रे, गग म ग म ग रे सा के ऊपर दिड दा रा दिड दा रा दा बजायें, तो यह मिजराब छः बार बजने पर, इक्कीस मात्रा की तान बनेगी । आवश्यकतानुसार इसमें और भी स्वर जोड़े या घटाये जा सकते हैं। पैर से प्रत्येक मात्रा पर ताल देने का अभ्यास साथ-साथ अवश्य चलना चाहिये । अलंकारिक तानें बनाना- 1 यदि प्रारंभ में यह अभ्यास कठिन मालूम पड़े तो अन्तिम स्वर पर आधी मात्रा ठहर कर, इसी एक टुकड़े को बजाय साढ़े तीन मात्रा के पूरी चार मात्रा में भी रख सकेंगे। एक दूसरा अलंकार इसी प्रकार का अवरोही का और देखियेः- गरे गरे रेसा रेऽ, रेसा रेसां सांनि सोऽ, सांनि सांनि निध निऽ, निध निध धप धाऽ, धप धप पम प, पम पम मग मऽ, मग मग गरे गऽ, गरे गरे रेसा रेऽ, रेसा रेसा सानि साऽ इसी प्रकार चाहे जैसा अलंकार राग में लगने वाले स्वर और उसकी जाति के आधार से बना सकते हैं। डेढ़ मात्रा में एक अलंकार बनाने के लिये कोई भी तीन स्वर दूनी लय में बजाये जा सकते हैं। जैसे रेरे सा,ग गरे, मम ग,प पम, आदि। इसी प्रकार ढाई मात्रा में रखने के लिये किन्हीं भी पांच स्वरों को मिलाया जा सकता है। जैसे सारे सारे गरे गरे गम, गम गम पम पम पध, आदि। साढ़े तीन मात्राओं में रखने के लिये