पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१२९

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सितार मालिका प मम ग प म धध ग रे सा, निनि ३ X २ आड़ी-तिरछी नं० १० चौथी मात्रा से उठती है जो इन्हीं स्वरों पर निम्न प्रकार होमी:- आड़ी-तिरछी का दूसरा उदाहरण- नि रा X २ सां सां सां निनि | सां रे सां नि | ध प म; निनि | सां रे सां दिर | दा दिर दा रा दा दा रा; दिर दा हिर दा ५ प म; धध | प मम ग रे | ध प मम गरे रे पप दा. दा रा; दिर दा दिर दा दा दिर दा | दा; दा दिर रा दा २ ३ AX प ग दा दा रा २ o घूध प में धुध प ! म, रे सा; रा दा दिर दा रा; दा दिर दा | रा दा दिर दा रा; ग रे सा; निनि | ग रेरे प; निनि | ग रे प; निनि | ग रे प दा दा रा, दिर दा दिर दा; दिर दा दिर दा; दिर दा दिर दा रा प सां दा X ० ३ यहां श्राप देखेंगे कि इस आड़ी-तिरछी में 'दिड दा दिड दा' का तीया धोखा देता है । कारण कि इस तीये के एक मात्रा बजने के बाद ही सम आता है । सम्भवत: आप भी अब प्रत्येक राग में इसी तरह आड़ी-तिरछी बना सकेंगे। ताने बजाने का क्रम- जब आप इस प्रकार आड़ी-तिरछी बजाने में समर्थ हो जाये तो प्रत्येक मात्रा बजाते समय पैर से ताल देने का भी अभ्यास करते रहिये। जब प्रत्येक मात्रा पर पैर ठीक प्रकार से लय में चलने लगे तो सम से 'दिड दा डा' आदि बोलने की बजाय १-२ ३-४ श्रादि गिनती बोलने का अभ्यास करिये । किसी भी परदे पर ( राग में लगने वाले स्वरों के आधार से) चाहे जो बोल (मिजराब) बजाइये । परन्तु गिनिये, एक, दो, तीन, चार आदि । इस प्रकार जब ग्यारह तक गिनती गिन लें तो फिर बारहवीं मात्रा से गति में मिल जाइये । तीन-चार बार इसी प्रकार अलग-अलग स्वरों पर करने से यह भी आपकी एक प्रकार से आड़ी-तिरछी ही होगी।