पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१२३

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सितार मालिका आड़ी-तिरछी का दूसरा क्रम- इसी आधार से आड़ी-तिरछी बनाने का दूसरा क्रम यह भी है कि आप मिजराबों के बोल बदल दें और राग में लगने वाले स्वरों के आधार से स्वर भी बदल दें; किन्तु लय नहीं बदली जायेगी। आड़ी-तिरछी का तीसरा क्रम- इसमें गति के कुछ बोलों को दो-दो बार बजाते चलिये। जब भी बारहवीं मात्रा आये तो गति में मिल जाइये। जहां से आपने दो-दो बार बजाना शुरू किया था, उन स्थानों को ध्यान में रखिये । उदाहरण के लियेः- दा दिर दा रा दा दा रा, दिर ! दा दिर दा रा दा दा रा, १३ १४ १५ १६ १ ४ ६ ७ इसमें हम नवी मात्रा तक तो गति को ज्यों की त्यों बजायेंगे, उसके बाद के बोलों को दो-दो बार बजाते चलेंगे । जैसे:- । उदाहरण नं०१--गति की आड़ी तिरछी- दा दाड़ा दिड दा, दिड दा १ १० ११ १३ दिड दा डा, दिड दा ड़ा, २ ३ दा दा रा,दा दा रा यह समान बोल ही हैं ६ ह यहां कुछ बोलों को दो-दो बार बजाने के बाद बारहवीं मात्रा आगई। इसी से फिर गति बजाई जा सकती है। आप चाहें तो इन बोलों को दुबारा बजाते समय उन्हीं स्वरों पर बजादें जिन पर कि आपने गति वजाई है। अथवा नवीन स्वरों का प्रयोग कर सकते हैं। आड़ी-तिरछी के क्रम का दूसरा उदाहरण- देखिये, अबकी बार सम से शुरू करते हैं:- दा दा रा, दा दा रा, दिड दा, दिड दा, दिड दा डा, दिड दा डा, १ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ २ ३ ६ . ६