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नया कापी राइट-ऐक्ट

को अपनी पुस्तक में लिख दे और अपनी तरफ से उसमें कुछ न लिखे तो यह समझा जायगा कि उसने कापी-राइट के कानून को तोड़ा है और उसका यह काम चोरी का काम माना जायगा।

बस वह कापी राइट ऐक्ट, सन् १९११, का सारांश है। भारत- वर्ष की वर्तमान दशा के लिये यह बहुत ही उपयोगी और आवश्यक है। आजकल इस देश में जिस प्रकार की साहित्य-सम्बिन्धिनी चोरियाँ दिन-दहाड़े होती रहती हैं उनको दूर करने में इस कानून के द्वारा बहुत सहायता मिलेगी। जिन लोगों को साहित्य-सम्बन्धी डाके डालने की आदत पड़ रही है उन्हें अब खबरदार हो जाना चाहिये।

[अप्रेल, १९१३




११—नया कापी राइट ऐक्ट

गवर्नर-जनरल के कौंसिल की जो बैठक देहली में, २४ फरवरी १९१४ को हुई उसमें नया कापी राइट ऐक्ट "पास" हो गया। यह वही ऐक्ट है जिसके विषय में एक लेख पहले ही दिया जा चुका है। इँगलैंग में जो नया कापी-राइट ऐक्ट जारी हुआ है वही अब बाकायदा भारत में भी जारी किया गया। पर भारतीय ऐक्ट में विलायती ऐक्ट से कुछ विशेषताये हैं उनमें से अनुवाद के सम्बन्ध की विशेषता बड़े महत्व की है। उसका तथा और दो-चार बातों का सारांश नीचे दिया जाता है।

जब तक कापी-राइट का कानून १८४७ ईसवी के ऐक्ट २० और १८३७ के ऐक्ट २५ के अनुसार बर्ताव में आता था। वह अब रद हो गया। इन ऐक्टों में बयान किये गये कानून की पाबन्दी किये बिना ही कितने ही लेखक और प्रकाशक अपनी-अपनी पुस्तकों पर बहुधा छाप दिया करते थे—"हक महफूज", "हकूक महफूज", "स्वत्व रक्षित", "सर्वाधिकार रक्षित"। कोई-कोई तो बड़ी-बड़ी धमकियाँ तक पुस्तक