ग॰—आप तो धर्मशास्त्र की बातें छेड़ रहे हैं।
दे॰—हः हः हः हः और आप निग्रह-स्थान में पड़कर भाग रहे हैं। मेरी सलाह है कि आप ऐसे शुष्कवादों में समय न नष्ट किया करे। कम से कम मैं इस विषय में और अधिक समय नष्ट करने के लिये तैयार नहीं।
[सितम्बर, १९१४
१०—कापी राइट ऐक्ट
अब तक भारतवर्ष में पुस्तकों के स्वत्वाधिकार का जो कानून (ऐक्ट २०, सन् १८४७ ईसवी का) प्रचलित था वह रद हो गया समझिये। अब उसकी जगह पर इँगलैंड का एक नया कानून (कापीं राइट ऐक्ट, सन् १९११ ईसवी का) इस देश में प्रचलित हुआ है। इस कानून का घनिष्ट सम्बन्ध पुस्तकों के लेखकों और प्रकाशकों से है और उसका जानना उनके लिये बहुत आवश्यक भी है। अतएव उसका सारांश लिखना हम यहाँ पर उचित समझते हैं।
इस कानून का नाम सन् १९११ ईसवी का कापी राइट ऐक्ट है। यह १६ दिसम्बर सन् १९११ ईसवी को पास हुआ था। इँगलैंड में
यह पहली जुलाई सन् १८१२ ईसवी से प्रचलित हुआ और भारतवर्ष में भारत-गवर्नमेंट के आज्ञानुसार, ३० अक्तूबर सन् १९१२ ईसवी से जारी हुआ। इस कापी-राइट ऐक्ट को बाकायदा भारतवर्ष का कानून बनाने के लिए इस विषय का एक मसविदा तैयार किया गया है। उस पर बड़े व्यवस्थापक कौंसिल में शीघ्र ही विचार होगा और विचार होकर वह 'पास' किया जायगा। उस समय, सम्भव है, इस ऐक्ट में विलायती ऐक्ट की अपेक्षा कुछ विशेषता भी रक्खी जाय!