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शब्दार्थ-विचार

उनको ११, २५० रुपये मिले हैं। अर्थात् प्रतिशब्द सवा दो रुपये, या प्रति पंक्ति साढ़े बाईस रुपये!!! वेल्स नामक एक साहब अपने लेखों के लिये प्रति एक हजार शब्दों के ४५५ रुपये पाते हैं। हम्फ्री वार्ड नाम की एक मेम साहबा को अमेरिका की मासिक पुस्तकें उनके उपन्यासों की लिखाई एक लाख शब्दों के डेढ़ लाख रुपये देती हैं!!!

मतलब यह कि इस समय इँगलैंड के ग्रन्थकारों की दशा बहुत अच्छी है। ईश्वर करे भारत के ग्रन्थकारों को भी ऐसे सुदिन देखने का सौभाग्य प्राप्त हो!

[ सितम्बर, १९०८


 

 

८—शब्दार्थ-विचार

संस्कृत के अनेक ग्रन्थों के आधार पर, पण्डित गणेश सदाशिव लेले ने, मराठी में, साहित्य शास्त्र-सम्बन्धी एक ग्रन्थ लिखा है। उसमें शब्द और अर्थ का, साहित्य-शास्त्र के नियमों के अनुसार, थोड़े में, अच्छा वर्णन है। यह लेख, प्रश्नोत्तर के रूप में, उसी के कुछ अंश का भावार्थ है।

प्रश्न—शब्द किसे कहते हैं?

उत्तर—जिससे अर्थ का बोध हो, ऐसे एक अक्षर या अनेक अक्षरों के समुदाय का शब्द कहते हैं।

प्र॰—अर्थ-बोधकता के विचार से कितने प्रकार के शब्द होते हैं?

उ॰—तीन प्रकार के—वाचक, लक्षक और व्यञ्जक।

प्र॰—वाचक शब्दों का क्या लक्षण है?

उ॰—जिस शब्द के जिस अर्थ का नियमपूर्वक बोध होता है वह शब्द उस अर्थ का वाचक कहलाता है। और जो अर्थ उस वाचक शब्द से बोधित होता है वह अर्थ उस शब्द का वाच्यार्थ कहलाता है। उसी का नाम शब्दार्थ, मुख्यार्थ, या स्वार्थ भी