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साहित्य-सीकर

विदेशियों की संस्कृत बोली में यदि कोई विलक्षणता होती है तो उस उच्चारण सम्बन्धिनी है। परन्तु इस प्रकार की विलक्षणता स्वाभाविक है। हम लोगों की अँगरेजी भी तो विलक्षणता से खाली नहीं।

कोई साठ वर्ष हुए जेम्स राबर्ट बालेंटाइन नामक एक विद्वान्, बनारस के गवर्नमेंट कालेज में, प्रधान अध्यापक थे, वे संस्कृत के अच्छे ज्ञाता थे। अरबी फारसी में भी उनकी गति थी! संस्कृत वे बोल भी सकते थे और लिख भी सकते। संस्कृत-भाषा और देवनागिरी लिपि के बड़े भारी पक्षपाती थे। वे चाहते थे कि अंगरेजी में जो ज्ञान-समूह है उससे भारतवासी लाभ उठावें और संस्कृत में जो कुछ ज्ञेय है उससे अंगरेजी जाननेवाले लाभ उठावें। इसी से उन्होंने बनारस-कालेज के संस्कृत-विभाग में पढ़नेवालों को अंगरेजी भाषा सीखने का भी प्रबन्ध किया था। अपनी उद्देश्य सिद्धि के लिए उन्होंने गवर्नमेंट की आज्ञा से, कुछ उपयोगी पुस्तकें भी प्रकाशित की थीं। उनमें से एक पुस्तक का नाम है—Synopsis of Science उसमें योरप और भारत के शास्त्रों का सारांश अङ्गरेज़ी और संस्कृत-भाषाओं में है। बालेंटाइन साहब की यह पुस्तक देखने लायक है। इस पुस्तक को छपे और प्रकाशित हुये पचास वर्ष से अधिक समय हुआ। इसका दूसरा संस्करण जो हमारे सामने है, मिर्जापुर के आर्फन-स्कूल-प्रेस का छपा हुआ है। न्याय, सांख्य, वेदांत, ज्यामिति, रेखागणित, बीजगणित, प्राणिशास्त्र, रसायनशास्त्र, समाजशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, कीटपतङ्गशास्त्र, भूगोल विद्या, भूस्तरविद्या, राजनीति-विज्ञान, यहाँ तक कि सम्पत्ति-शास्त्र तक के सिद्धान्तों का इसमें वर्णन है। पुस्तक दो भागों में विभक्त है। प्रथमार्द्ध में पूर्वोक्त शास्त्रों का सारांश, अंगरेज़ी में दिया गया है, और उत्तरार्द्ध में संस्कृत में। गौतमीय न्यायशास्त्र के आधार पर साध्य की सिद्धि की गई है