आज हम, इस लेख में, विलायत के सबसे अधिक प्रभुत्वशाली और विख्यात पत्र टाइम्स के विषय में कुछ लिखने का साहस कर रहे हैं। जिस सामग्री के आधार पर हम यह लेख लिखने जा रहें हैं वह पुरानी है। अतएव, सम्भव है; इसकी कुछ बातें आज वैसी ही न हों जैसी कि इसमें लिखी गई हैं। तथापि, आशा है, फिर भी पाठकों का कुछ न कुछ मनोरञ्जन और ज्ञानवर्द्धन इससे अवश्य ही होगा।
इस युग में समाचार-पत्र संसार की एक बड़ी प्रबल शक्ति है। समाचार-पत्रों का वैभव और महत्व पाश्चात्य देशों में ही देखने को मिलता है, भारत में तो अभी उनका बाल्यकाल ही है। जहाँ एक-एक पत्र के तीस-तीस चालीस-चालीस हजार ग्राहक हो जाना तो एक सामान्य सी बात है। वहाँ अनेक ऐसे पत्र हैं जिनकी ग्राहक-संख्या लाखों तक पहुँची है। भारतीय सम्पादकों और लेखकों की तरह पाश्चात्य देशों के संपादकों और लेखकों से लक्ष्मीजी की शत्रुता नहीं। वहाँ ऐसे मनुष्यों की संख्या बहुत बड़ी है जो केवल लेख लिखकर अथवा संवाददाता होकर या समाचार-पत्र के लिये सामग्री देकर कार्य चलाते हैं। सेंट निहालसिंह के लेख पाठकों ने पढ़े होंगे। आप भारतवासी हैं। आप पहले अमेरिका में थे। अब कुछ समय से आप विलायत की राजधानी लन्दन में विराजमान हैं। आप नामी लेखक हैं। समाचार पत्रों और सामयिक पुस्तकों में लेख लिखकर ही आपने