को वे कुछ दिनों बाद दूसरे मनुष्य, दृश्य या दुर्घटना के बतला कर प्रकाशित करते हैं। जैसे यदि कोई बड़ा आदमी मरा और उनका फोटो तुरन्त न मिल सका तो वे लोग उसी की जैसी सूरत वाले दूसरे मनुष्य का चित्र छाप देंगे और यह प्रकट करेंगे कि खास मरे हुये मनुष्य का यह सब से ताजा फोटोग्राफ है। इसी तरह यदि बीच समुद्र में कोई जहाज डूबा और शीघ्र ही उसका फोटो न मिल सका तो किसी ऐसी ही पुरानी दुर्घटना के चित्रों में ब्लाक ढूँँढ़े जाते हैं और उन्हें छाप कर यह प्रकाशित किया जाता है कि अखबार के खास चित्रकार ने, मौके पर जाकर, इस दुर्घटना के दृश्यों के फोटोग्राफ लिये हैं। सन् १९०६ में सानफ्रांसिस्को नगर में बड़ी भयंकर आग लगी थी। उसके सम्बन्ध में भी एक अखबार वाले ने ऐसी ही जालसाजी की थी, पर वह प्रकट हो गई। फल यह हुआ कि अखबार के जिन कर्मचारियों के दोष से यह बात प्रकट हुई थी वे सब बरखास्त कर दिये गये। इसलिये नहीं कि उन्होंने जालसाज़ी की, किन्तु इसलिये कि जालसाजी में वे कामयाब न हो सके।
अमेरिकन अखबारों के संवाददाता खबरें एकत्र करने में बड़े ही प्रवीण होते हैं। अपने इस काम में वे लोग जैसा साहस, अध्यवसाय और उत्साह दिखलाते हैं उसका एक उदाहरण सुनिये। शिकागो की अदालत में कत्ल का एक मुकद्दमा चल रहा था। सारे देश में उसकी धूम मची हुई थी। लोग उसके समाचार जानने के लिये अत्यन्त उत्सुक रहते थे। हर एक अखबार यही चाहता है कि सब से पहले मैं ही इसकी खबरें सर्वसाधारण को सुनाऊँ। फैसले के दिन आने पर लोगों की उत्कंठा और भी बढ़ गई। प्रत्येक समाचार-पत्र वाला यह प्रयत्न करने लगा कि फैसले की खबर सब से पहले उसी को मिले। इस उद्देश को पूरा करने के लिये एक अखबार के तीन संवाददाताओं ने एक युक्ति निकाली। उसके अनुसार वे एक रस्सा और झूला लेकर