१―अमेरिका के अखबार
संसार में समाचार-पत्रों का प्रभाव दिन पर दिन बढ़ता जाता है। पश्चिमी देशों में तो यहाँ तक नौबत पहुँची है कि वे राज्य का एक स्तम्भ माने जाते हैं और उनका पढ़ना यहाँ वालों की दिनचर्य्या में शामिल हो गया है। इस प्रकार के देशों में अमेरिका का नम्बर पहला है। वहाँ इस समय सब मिला कर साढ़े बारह हजार अखबार निकलते हैं। उनमें एक हज़ार तो दैनिक हैं, इसके सिवा एक सौ बीस अखबार ऐसे हैं जिनके स्वामी, सम्पादक और प्रकाशक केवल हब्शी हैं।
अमेरिकावाले अखबारों के बड़े शौकीन है। अमीरों और नगर-निवासियों की तो बात ही नहीं, दरिद्र और देहाती तक नित्य मोल लेकर अखबार पढ़ते हैं। वहाँ के अखबारों की उन्नति का यही मुख्य कारण है। यहाँ शायद ही कोई गाँव ऐसा होगा जहाँ से कोई न कोई दैनिक, साप्ताहिक या मासिक पत्र न निकलता हो। शहरों का तो कहना ही क्या है, उनमें तो महल्ले-महल्ले से दैनिक पत्र निकलते हैं।
साधारण समाचार-पत्रों के सिवा वह प्रत्येक राजनैतिक दल, धार्मिक सम्प्रदाय, पेशे और सभा-समाज के भी जुदे-जुदे पत्र निकलते हैं, इसके सिवा बालकों, स्त्रियों और हबशियों के भी अलग-अलग पत्र निकलते हैं, जिनमें उन्हीं के मतलब की बातें रहती हैं। विद्या, कला और विज्ञान की भिन्न-भिन्न शाखाओं के भिन्न-भिन्न पत्र प्रकाशित होते हैं। शिल्प या व्यापार सम्बन्धी कम्पनियों और राजकीय विभागों