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साहित्य में बुद्धिवाद

सम्मिश्रण हो । बुद्धि के लिए दर्शन है, शास्त्र है, विज्ञान है, और अनन्त ज्ञान-क्षेत्र है। क्या वह साहित्य और कला मे भी मनोभावो- मनोवेगो को नही रहने देना चाहता ? ।


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