प्रजा को दबाने की, इस आन्दोलन को कुचलने की कोशिश करेंगे । लेकिन यह उन्हीं के हक मे बुरा होगा। प्रजा की दशा तो अब जितनी बुरी है,उससे बुरी और हो ही क्या सकती है ? हॉ, जो लोग प्रजा के मत्थे ऐश करते है, यूरोप में विहार करते हैं, मोटरो में बैठे हुए हवा में उड़ते है, उनकी खैरियत नहीं है । हम उन्हे धमकी नहीं दे रहे हैं, धाँधली उसी वक्त तक हो सकती है, जब तक जनता सोई हुई है । हम अब भी आशा रखते हैं, कि महात्माजी का सदुद्योग सत्ताधारियों के विचार-कोण में इच्छित परिवर्तन करेगा । विचारा का परिवर्तन अब तक तलवार से होता आया है, लेकिन विचार जैसी सूक्ष्म वस्तु पर तलवार का असर या तो होता ही नहीं, या होता है तो स्थायी नहीं होता । सूक्ष्म वस्तु पर सूक्ष्म वस्तु का ही असर पड़ता है । भारत ने इसके पहले भी ससार के सामने आध्यात्मिक आदर्श रक्खे हैं, वही चेष्टा वह फिर कर रहा है। वह इतिहास की परम्परागत प्रगति को बदल देना चाहता है। वह सफल होगा या विफल, यह दैव के हाथ है, लेकिन उसकी विफलता भी ऐसी होगी, जिस पर सैकड़ों सफलताएँ भेट की जा सकती है।
हमे आशा है, कि वाइसराय के हृदय पर इस निवेदन का कुछ असर होगा, वह उस सौजन्य, विनम्रता और सच्चाई की कुछ कद्र करेगे। पर वाइसराय की ओर से उसका जो जवाब दिया गया है, वह सिद्ध कर रहा है कि महात्माजी का सन्देश उनके हृदय तक नहीं पहुँचा।
________