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राष्ट्रभाषा हिन्दी और उसकी समस्याएॅ


भी हो रहा है कि स्कूलो मे उर्दू के छात्रो को हिन्दी और हिन्दी के छात्रो को उर्दू का इतना ज्ञान अनिवाय कर दिया जाय कि वह मामूली पुस्तके पढ सके और खत लिख सके । अगर वह अान्दोलन सफल हुआ, जिसकी अाशा है, तो प्रत्येक बालक हिन्दी और उर्दू दोनो ही लिपियो से परिचित हो जायगा । और जब भाषा एक हो जायगी तो हिन्दी अपनी पूर्णता के कारण सर्वमान्य हो जायगी और राष्ट्रीय योज- नारो मे उसका व्यवहार होने लगेगा । हमारा काम यही है कि जनता मे राष्ट्र-चेतना को इतना सजीव कर दे कि वह राष्ट्र हित के लिए छोटे-छोटे स्वार्थों को बलिदान करना सीखे। आपने इस काम का बीडा उठाया है, और मै जानता हूँ अापने क्षणिक आवेश मे अाकर यह साहस नही किया है बल्कि आपका इस मिशन मे पूरा विश्वास है, और आप जानते है कि यह विश्वास कि हमारा पक्ष सत्य और न्याय का पक्ष है, आत्मा को कितना बलवान् बना देता है। समाज मे हमेशा ऐसे लोगो की कसरत होती है जो खाने-पीने, धन बटोरने और जिन्दगी के अन्य धन्धो मे लगे रहते है। यह समाज की देह है। उसके प्राण वह गिने-गिनाये मनुष्य है, जो उसकी रक्षा के लिए सदैव लड़ते रहते है-कभी अन्धविश्वास से, कभी मूर्खता से, कभी कुव्यवस्था से, कभी पराधीनता से । इन्हीं लडन्तियो के साहस और बुद्धि पर समाज का आधार है । आप इन्हीं सिपाहियो मे है। सिपाही लड़ता है, हारने-जीतने की उसे परवाह नहीं होती। उसके जीवन का ध्येय ही यह है कि वह बहुतो के लिए अपने को होम कर दे । आपको अपने सामने कठिनाइयो की फौजे खड़ी नजर आयेगी । बहुत सम्भव है, आपको उपेक्षा का शिकार होना पडे । लोग आपको सनकी और पागल भी कह सकते है। कहने दीजिए। अगर आपका संकल्प सत्य है, तो आप मे से हरेक एक-एक सेना का नायक हो जायगा। आपका जीवन ऐसा होना चाहिये कि लोगों को आप मे विश्वास और श्रद्धा हो । आप अपनी बिजली से दूसरों मे भी बिजली भर दें, हर एक