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रोमे रोलाॅ की कला

कुजियाॅ है, जो एक वाक्य मे सारा अन्धकार, सारी उलझन दूर कर देती है-

'अानन्द से भी हमारा जी भर जाता है । जब स्वार्थमय आनन्द ही जीवन का मुख्य उद्देश्य हो जाता है, तो जीवन निरुद्देश्य हो जाता है।'

'सफलता में एक ही दैवी गुण है। वह मनुष्य मे कुछ करने की शक्ति पैदा कर देती है।'

'सुशीला स्त्रियो मे भी कभी-कभी एक भावना होती है, जो उन्हें अपनी शक्ति की परीक्षा लेने और उसके आगे जाने की प्रेरणा करती है।'

'आत्मा का सब से मधुर संगीत सौजन्य है।'

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फा० १०