हुए है। मेसफील्ड ने मानव जीवन के काले दागो पर प्रकाश डालने मे खूब ख्याति पाई है। वह घोर वास्तविकतावादी है और मानव जीवन मे जो क्षुद्रता धूर्तता, और लम्पटता व्याप्त हो रही है, इसकी अोर से वह ऑखे नही बन्द कर सकता । मनुष्य मे स्वभावतः कितनी पशुता है, इसका उसने बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया है । पेटर के ड्रामो मे धर्म और नीति की प्रधानता है । वह नए युग की अश्रद्धा से दुखी है और ससार का कल्याण, धर्म और विश्वास के पुनर्जीवन मे ही समझता है । उसका अपना एक स्कूल है, जो ड्रामा मे काव्यमय प्रसगो को लाना आवश्यक समझता है, जिससे मनुष्य कुछ देर के लिए तो इस छल-कपट से भरे हुए ससार के जलवायु से निकलकर कविता के स्वच्छन्द लोक मे विचर सके । ड्रिंकवाटर, सिंज, आदि ड्रामेटिस्टो का भी यही रग है ।
सबसे बडी नवीनता जो वर्तमान ड्रामा मे नजर आती है, वह उसका प्रेम चित्रण है। नवीन ड्रामा मे प्रेम का वह रूप बिलकुल बदल गया है, जब कि वह भीषण मानसिक रोग से कम न था और नाटककार की सारी चतुराई प्रेमी और प्रेमिका के संयोग मे ही खर्च हो जाती थी। प्रेमिका किमी न किसी कारण से प्रेमी के हाथ नहीं पा रही है, और प्रेमी है कि प्रेमिका से मिलने के लिए जमीन और आसमान के कुलाबे मिलाये डालता है । प्रेमिका की सहेलियाँ नाना विधि से उसकी विर- हाग्नि को शान्त करने का प्रयत्न कर रही है और प्रेमी के मित्र-वृन्द इस दुर्गम समस्या को हल करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। सारे ड्रामे मे मिलन-चेष्टा और उसके मार्ग मे आने वाली बाधाओ के सिवा और कुछ न होता था । नवीन ड्रामे ने प्रेम को व्यावहारिकता के पिंजड़े मे बन्द कर दिया है । रोमास के लिए जीवन मे गुञ्जायश नहीं रही और न साहित्य मे ही है। प्राचीन ड्रामा जीवन अनुभूतियो के अभाव को रोमास से पूरा किया करता था । नया ड्रामा अनुभूतियो से मालामाल है । फिर वह क्यो रोमास का श्राश्रय ले । मनुष्य को जिस वस्तु मे सबसे ज्यादा अनुराग है वह मनुष्य है, और खयाली, आकाश-