पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/६२

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१०. ११. १२. १३. ४६ अध्याय ५ Evan Charteris, The Life and Letters of Sir Edmund Gosse, लंदन, १६१३, Edmund Gosse का F. C. Roe के नाम, मार्च १६, १९२४ को लिखा पत्र । १० ४७७ पर उद्धृत डब्लू० पी० कर, Essays, लंदन, १९२२, प्र० भा०, पृ० १०० । टी० एस० एलियट, ‘Tradition and Individual Talent', The Sacred Wood, लंदन, १६२०, पृ० ४२ । आर० एस० क्रेन, ‘History versus Criticism in the University Study of Literature', The English Journal, College Edition, XXIV (१९३५), पृपृ० ६४५-६७ । F. J. Teggart, Theory of History, New Haven, १९२५ Ferdinand_Brunetiére, L'Evolution des genres dans Phistoire de la littérature, Paris, १९२० । John Addington Symonds, 'On the Application of Evolutionary Princi- ples to Art and Literature', Essays Speculative and Suggestive, लंदन, १८६०, प्र० भा०, पृ० ४२४८ R. D. Havens, Milton's Influence on English Poetry, Cambridge, Massa- chusettes, १६२२ । १४.(क) R. N. E. Dodge, 'A Sermon on Source-hunting Modern Philology, IX (1911-12) पृपृ० २११-२३ । (4) Hardin Craig: 'Shakespeare and Wilson's Arte of Rhetrique : An Inquiry into the Criteria for Determining Sources, Studies in Philology, XXVIII (१९३१), पृ० ८६६८ | (ग) George C. Taylor: ‘Montaigne-Shakespeare and the Deadly Parallel', Philological Quarterly, XXII ( १९४३), पृ१० ३३०-३७, इसमें लेखक ने इस प्रकार के अध्ययनों में व्यवहृत होनेवाले ७५ प्रमाण-रूपों की एक कौतुहुनप्रद तालिका प्रस्तुत की है । (घ) David Lee Clark, 'What was Shelley's Indebteines; to Keats ?" Publi cations of the Modern Language Association of America, I.VI (१९४१), पृपृ० ४७६-९७; इसमें J. L. Lowes के द्वारा निर्दिष्ट समानताओं का खंडन युक्तियुक्त किया गया है । (ङ) हिंदी में 'निराला' जी का, 'माधुरी' में प्रकाशित, संप्रति पुस्तिका के रूप में सुनभ, 'पंत और पल्लव' उदाहरणीय है। १५. (क) H. O. White, Plagiarism and Imitation during the English Renaissance, Cambridge, Masachusettes, १६३५ । (ख) Elizabeth M. Mann, "The Problem of Originality in English Literary Criticism, 1750-1850, Philological Quarterly, XVIII (१९३९) पृपु० ६७-११८ ।