हिन्दी | प्राकृत | संस्कृत |
आठ | अट्ठ | अष्ट |
हाथ | हथ्थ | हस्त |
बात | वत्ता | वात्त |
आज | अज्ज | अद्य |
आग | अग्गि | अग्नि |
दूध | दुद्ध | दुग्ध |
कहा | कहिओ | कथितः |
सम्पर्क से भाषाओं में परिवर्तन हुआ ही करता है। सहवास के अनुसार गुण-दोष आही जाते हैं। यह एक स्वाभाविक नियम है। हिन्दी में संस्कृत और प्राकृत शब्दों के मेल के सिवा, मुसलमानों के सम्पर्क से अनेक शब्द, फ़ारसी, अरबी और तुर्की तक के आ गये हैं। यह सभी जानते हैं। मुसलमानों के मेल से 'बदलना' और 'दागना' इत्यादि विलक्षण प्रकार की क्रियायें तक हिन्दी में बन गई हैं। भिन्न भिन्न भाषायें बोलनेवालों के योग से भाषाओं में अवश्यही परिवर्तन होता है। इस देश में योरप से पहले पहल पोर्त्तगीज़ लोग आये। उन्होंने भी कुछ शब्द हिन्दी में प्रविष्ट कर दिये। उनके द्वारा प्रयोग किये गये 'केमरा' (Camera) का 'कमरा' हो गया और हैमर (Hammer) से 'हथौड़ा' की उत्पत्ति हुई। अंगरेज़ों के योग से तो अनेक शब्द नये बने और प्रतिदिन बनते जाते हैं। 'अपील', 'डिगरी', 'इञ्च', 'फुट', 'जज', 'डाक्टर', 'कमिश्नर, 'अस्पताल', 'बोतल', इत्यादि शब्द अब हिन्दी बन बैठे हैं और गावों में स्त्रियां और लड़के तक