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देशव्यापक लिपि


देवनागरी लिखने में सचमुच ही कैथी से एक तिहाई अधिक समय लगता है ? हमारी प्रार्थना है कि ग्रीब्ज़ साहब किसी अच्छे नागरी-लेखक को किसी कैथी लिखनेवाले के साथ बिठलाकर इसकी परीक्षा करें। जिनको लिखने का अभ्यास है वे कैथी ही नहीं, घसीट उर्दू लिखनेवालों तक की बराबरी कर सकते हैं। किम्बहुना, कोई कोई उनको मात भी देदें तो असम्भव नहीं। पादरी साहब की नागरी लिपि देखने का तो सौभाग्य हमें हुआ नहीं, पर परलोकवासी पिन्काट साहब की दो एक चिठियां हमारे पास हैं। वे नागरी में हैं। उनको देखने से जान पड़ता है कि पिन्काट साहब ने एक एक अक्षर एक एक मिनट में लिखा होगा। यदि ऐसे लेखक कैथी लिखनेवालों से कोसों पीछे पड़े रह जायँ तो कोई आश्चर्य नहीं।

[अगस्त १९०५

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