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मर्दूमशुमारी की हिन्दुस्तानी भाषा


लोगों की बोली इलाहाबाद जिले के लोगों की बोली से और भी अधिक दूर हो जाती है। इसी तरह सहारनपुर और बलिया या गाजीपुर की बोली में तो सैकड़ों शब्द ऐसे पाये जाते हैं जो दोनों जिलों में एक से नहीं बोले जाते । पर क्या इस भेद-भाव के कारण भाषा ही बदल जाती है ? यदि बदल जाय तो कहीं कहीं हर जिले में दो दो तीन तीन बोलियों या भाषाओं की कल्पना करनी पड़े। बोली में जैले यहाँ, थोड़ी थोड़ी दूर पर, अन्तर हो गया है वैसे ही इंँगलैंड में भी हो गया है। यह बात मर्दुमशुमारो के सुपरिंटेंडेंट स्वयं भी स्वीकार करते हैं। पर वहाँ अँगरेज़ों की अँगरेज़ी ही बनी हुई है। उसमें भेद-कल्पना नहीं की गई। तथापि इस देश की सरकार के द्वारा नियत किये गये डाक्टर ग्रियर्सन ने यहाँ की भाषाओं की नाप-जोख करके संयुक्तप्रान्त की भाषा को चार भागों में बाँट दिया है---(१) माध्यमिक पहाड़ी (२) पश्चिमी हिन्दी (३) पूर्वी हिन्दी और (४) बिहारी । आपका वह बाँट-छूट वैज्ञानिक कहा जाता है और इसी के अनुसार श्रापकी लिखी दुई भाषा-विषयक ( LuguisticSurvey ) रिपोर्ट में बड़े बड़े व्याख्यानों,विवरणों और विवेचनों के अनन्तर इन चारों भागों के भेद समझाये गये हैं। पर भेद-भाव के इतने बड़े भक्त डाक्टर ग्रियसेन ने भी इस प्रान्त में "हिन्दुस्तानी" नाम की एक भी भाषा को प्रधानता नहीं दी।

ज़रा दिल्लगी तो देखिए । उधर तो सरकार ही के एक बहुत बड़े कर्मचारी, डाक्टर ग्रियर्सन, जो भाषाओं के तत्वदर्शी