पृष्ठ:साहित्यालाप.djvu/१९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४
साहित्यालाप


लिपि लिखनेवाले विद्यार्थियों को पदक आदि देकर उनके उत्लाह को बढ़ावे। जस्टिस कृष्णस्वामी की राय है कि देवनागरी लिपि सर्वोत्तम होने पर भी, भारत में प्रचलित कई एक अन्य भाषाओं के विशेष वर्णोच्चारण की दृष्टि से अपूर्ण है। तामील, तेलंगी और अरबी-फ़ारसी के कई वर्णों का ठीक ठीक उच्चारण इस लिपि के अन्तर्मुक्ल वर्णों से नहीं होता। अतएव कुछ ऐसे वर्ण या संकेत बनाये जाने चाहिए जिनसे यह कमी दूर हो जाय। इस अभिप्राय से जो कोई सबसे अच्छे वर्ण-संकेत बनावेगा उसे जस्टिस कृष्ण त्वामी पारितोषिक देंगे।

देखिए मद्रास, बंगाल और पंजाब के प्रतिष्ठित पण्डितों का देवनागरी लिपि पर कितना पूज्य भाव है। हमारे प्रान्त के शर्मा, वर्मा और गुप्त लोगों की, न मालम, कब आंखें खुलेगी और कब वे हिन्दी पढ़ना और नागरी लिखना सीखेंगे।

अब हमारे मुसलमान भाइयों की बातें सुनिए। बड़े दिन की छुट्टियों में उन्होंने नागपुर में अपना एक जातीय जलसा किया। उसमें हिन्दी के ख़िलाफ़ और उर्दू की तारीफ़ में बड़ी बड़ी वक्तृतायें हुईं। आप लोग चाहते हैं कि एक सौ एक लड़कों में यदि एक मुसल्मान हो तो उसके लिए उर्दू का एक अलग मदरसा खोला जाय ! इनकी सभा में मध्यप्रदेश के कमिश्नर साहब भी पधारे थे। आपने इस हठवाद पर बहुत लम्बी टीका की और समझाया कि इसी दुराग्रह के कारण मुसल्मान शिक्षा में बहुत पीछे पड़े हुए हैं। उन्हें चाहिए कि ऐसे दुराग्रहों को छोड़ दें। उनके लिए उर्दू में शिक्षा देने का