श्रीरामचरितमानस अर्थात श्री तुलसी दास कृत रामायगा । यह अन्य बड़े परिश्रम और यन्त्र से श्रोतुलसीदास जी को लिखीहुई खास प्रति से शोध कर ज्यों का त्यौं छापा गया है। इस भय से कि कदाचित कोई इसे असंभव समझे, गोसाई जी के हाथ को लिखी हुई प्रति के १० पृष्ठ का फोटोग्राफ भी पुस्तक में लगादिया है, और उस को दृढ़ पुष्टि के लिये गोसाई जी के हाथ के लिखे हुए पञ्चनामा का फोटोग्राफ़ भी उसी के संग है, जिस में लोगों को यह भी न करना पड़े, कि गोसांई जी के हाथ के लिखे हुए का प्रमाणही क्या है और लोगों की भांति मैं नहीं चाहता कि इश्तिहार में नोचे से ऊपर तक प्रशंसा ही भर दृ क्योंकि जो इस के गुण ग्राहक हैं उन के लिये इतना ही बहुत है। इस अन्य में तुलसीदास जी का जीवनचरित्र भी दिया गया है और पचर बड़ा वो काग़ज़ अच्छा है । तीन सौ वर्ष पर यह असभ्य पदार्थ हाथ लगा है, जिन को रामरस का पूर्व स्वाद लेना हो वे न चकै और नीचे लिखे हुए पते से मंगा लेवें। नहीं तो पवार निकमा जाने पर पछताना होगा। मस्थ फोटोग्राफ़ सहित ) मूल्यविना फोटो की ४) डाक महमा १॥ रसिकविनोद। हम किसी से क्यों कहै ? नो रसिक होगा, जो विनोद चाहेगा, जो राधा कृष्ण का प्रेमी होगा और जो रसीले कवित्तों का प्यासा होगा; पापही इस ग्रन्थ के लिये हाथ उठा कर दौड़ेगा। यह ग्रन्थ मझौली के महाराजा- धिराज कुमार श्री शाख साहब बहादुर का बनाया है केवल 1) भेज देने में यहां मिलेगा। साहबप्रसाद सिंह। खविलास प्रेस बांकीपुर। mmmmmmmmmmmon-
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