[२१३ ] (७७) नंदन कवि सं० १६२५ ए महाराज सत कवि होगए हैं हजारा में इन का नाम है। (७८) हितहरिवंश स्वामी गोसाई वृंदावननिवासी व्यास स्वामी के पुत्र सं० १५५९ इन के पिता व्यास जी ने राधावल्लभी संप्रदाय को चलाया ए देव वंद के रहने वाले गौड़ ब्राह्मण थे हितहरिवंस जी महान कवि थे संस्कृत में राधासुधानिधि नाम ग्रंथ और भाषा में हितचौरासी नाम ग्रंथ महा सुंदर बनाया है। (७९) सेन कवि नापति बांधवगढ़ के सं० १५६० हजारा में इन के कवित्त हैं ए कवि स्वामी रामानंद जी के शिष्य थे। (८०) नारायण दास कवि' सं० १६१५ हितोपदेश राजनीति को भाषा में छंदबद्ध रचा है। (८२) नंदलाल कवि सं० १६११ कवित्त सुन्दर हजारा में इनके कबित्त हैं। (८४) रसखान कवि सैयद इबराहीम पिहानी वाले सं० १६३० ए कवि मुसल्मान थे श्रीवृंदावन में जाय कृष्णचंद्र की भक्तिभाव में ऐसे हुवे कि फिरि मुसल्मानी त्याग करि माला कंठी धारण किए हुए वृंदावन की रज में मिलि गए इन की कविता निपट ललित माधुर्यता से भरी हुई है इन की कथा भक्तिमाल में पढ़ने योग्य है। (८५) नाभादास कवि नाम नारायणदास महाराष्ट्र दक्षिणी सं० १५४० इन को स्वामी अग्रदास जी ने गलता नाम इलाके आमेर में लाय अपना शिष्य बनाय भक्तिमाल नाम ग्रंथ लिखने की आज्ञाकरी नाभा जी ने १०८ छप्पै छंद में इस ग्रंथ को रचा तेहि पीछे स्वामी मियादास द्वंदा- बनी मे उस्का तिलक कवित्तों में किया तेहि पीछे लाल जी कायथ कांध- ला के निवासी ने संन् ११५८ हि० में उसी का टिका बनाय भक्त उर. बसी नाम रक्खा इन दिनों उसी भक्तिमाल को महारसिक भगवत भक्त तुलसीराम अगरवाल मीरापुर निवासी ने उर्दू में उल्था करि भक्ति- मालं प्रदीपन नाम धरा है नाभा दास की विचित्र कथा भक्तिमाल में लिखी है। (८६)नरवाहन जी कवि भौ गांव निवासी सं १६०० ए कवि स्वामी हित- हरिबंश जी के शिष्य थे इन के पद बहुत विचित्र हैं कथा इन की भक्ति- माल में है। (८७)नरसिया कवि अर्थात् नरसी जी जूनागढ़ निवासी सं० १५९० इन पद राग सागरोद्भव में है।
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